________________
प
५८]
- ७६२००००००००
H
*
का प्रमाण है ।
-
एक्क सहस्स पारसय
भरतक्षेत्रको चूलिकाका प्रमाण
अग्रपंचहरी - जुत्ता । सेक्स कलाओ, भरह खिनी चूलिया एसा ॥ १६६ ॥
तिलोयपणती
[ गाया : १६६-१६७
अर्थात् १४५२६६२ योजन भरतक्षेत्रके धनुपृष्ठ
२७६०४३ #
१८७४ । ३ ।
श्रयं : – यह भरतक्षेत्रकी चूलिका एक हजार आठ सौ पचहत्तर योजन और एक योजन उत्नोस भागोंमेंसे तेरहके आाधे अर्थात् साढ़े छह भाग प्रमाण ( १८७५३३ मो० ) है ।। १९६ ॥
लघु जीवा } x
१....
विशेषार्थ :- [ ( भरतक्षेत्रकी उत्कृष्ट जीवा 399४ 20 २] - x १८७५ योजन भरत क्षेत्रकी पुलिकाका प्रमाण है ।
·
-
भरतक्षेत्रकी पार्श्वसुजाका प्रमाण
सया, वाणी जोयष्यामि भागा वि ।
एसा,
भरहक्वेशन्स
परस भुजा ॥१६७॥
१८६२ । १५ ।
अर्थ :--- भरतक्षेत्रकी पार्श्वभुजा एक हजार आठसो मानव योजन और एक योजनके उनोस भागोंमेंसे पन्द्रहके आधे अर्थात् साढ़े सात भाग (१८६२५५ यो० ) प्रमाण है ।। १२७ ।
घुघ० ) xt=
विशेषाथं । - ( भरतक्षेत्रका उत्कृष्ट धनुष 24x
= १२३३ योजन भरतक्षेत्रकी पारभुजाका प्रमाण है 1
-
—
[ तालिका नं० ५ अगले पृष्ठ पर देखिये ]