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________________ रहार afely :... Fat REATE गाषा : २९७३-२६५६ ] पस्यो महाहियारो मभ-सत्त-गमन -गव-एक पाजत रासि-परिमा। हो-पन-सन-ग-छन्नव-सग-पम-गि-पंच - - एपकं ॥२९७३|| १९८०७०४.६२८५६६.८४३६८३८५९८७५८४ । सिय-पन-दुग-अब-णवयं, छ-प्पण-प्रहा-एक-दुगमेक्कं । इगि-दुग-घउ-जब-पंचय, मसिणि - रासिम्स परिमाणं ॥२९७४॥ ५९४२११२१८८५६६८२५३११५१५७६६२७५२ । व:-चार. पाठ, पांच, सात, माठ, नौ, पाच, आठ तोन आठ, नो, तीन, चार, पाठ, शून्य, छह, छह, पाँच, माठ, दो, छह, शून्य, पार, शून्य. सात, शून्य, आठ नौ और एक, इतने (१६८०७०४०६२६५६६०८४३६८३८५१८७५८४ ) अंक प्रमाण पर्याप्त मनुष्य राशि तथा दो, पांच, सात. दो, छ, नो, सात, पांच, एक, पाँच, नो, एक, तीन, पाच, दो, पाठ, नौ, छह, पौष, प्राठ. आठ, एक, दो, एक, एक, दो, भार, नौ पोर पांच, इसने (५६४२११२१९८५१६८२५३१९५१५७१६२७५२) अंक प्रमाण मनुष्यणीराशिका प्रमाण है ।१२६७२-२६७४॥ सामग्ण-रासि-मामे, पजतं 'मसिनो पि सोहेन । प्रवसेसं परिमारखं, होरि अपग्जत • रासिस्स ॥२६७५॥ एवं संखा समत्ता ।।। भर्ष:- सामान्यराशि से पर्याप्त मनुष्यका और मनुष्पिनीका प्रमाण घटा देनेपर जो शेष । ___ रहे, उतना अपर्याप्त मनुष्य राशिका प्रमाण होता है ।।२९७५।। विशेषाप':- अपर्याप्त राशि=सामान्य राशि – ( पर्याप्त राशि+ मनुष्यिमी ) अपर्याप्त राशि-07--1)- (१९८०७०४०६२८५६६०१४३९८३८५६८७५८४+ ५९४२११२१८८५६६०२५३१९५१५७६६२७५२) नोट :---गाथा २९७५ को संदृष्टि स्पष्ट नहीं हो सकी है। इसप्रकार संख्याका कथन समाप्त हुआ ।।८।। मनुष्यों में अल्पबहुत्वका निरूपणअंतरवीव - मणुस्सा, पोवा ते कुरासु बससु संजेला। ततो संजेज • गुना, हति हरि • रम्मगेसु परिसेसु ॥२९७६।। १६... क. प. उ. मगुसिरिण।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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