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तिखोयपम्पत्ती
[ गापा : २८१८-२६.. भ:-तीन, पांच, शून्य, दो, छह, नौ पार एक, इस कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसो छप्पन भाम अधिक दोनों नदियों की प्रन्तिम तपा महाकम्छा और सुवल्गु ( भुगन्धा ) नामक दो क्षेत्रोंकी आदिम लम्बाई ( १९६२०५३. यो. है ।।२०६७।। १९६१८१५:१३+२३५३१११६६२०५३ योजन ।
दोनों केत्रोंकी मध्यम लम्बाईदु-स-पंच-एक्क-सग-अब-एवकं मंक - कमेण नोयगया । महकन्छ' - सुबग्गूए, बोहतं मरिझम - परसे ॥२६
१९७१५.२ । :-दो, शून्प, पाच, एक, साप्त, नौ और एक, इस संक क्रमने जो संख्या उत्पन्न हो उसने ( १९७१५०२) योजन प्रमाण महाकन्या और सुबरा (सुगन्धा ) क्षेत्रोंके मध्यम प्रदेश में सम्बाई है ॥२६॥
१९६२०५३ + LYNEEN - १९७१५०२ यो० ।
दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम और दो वक्षार-पर्वतोंकी आदिम लम्शाईखभ-पक-ब-बम-अर-गर-एक अंसा य होति छपन्न रोह बिजयारतं, दोहं पि गिरीषमारिल्ल ॥२६॥
१८९५ II प्र:-शृंग्य, पाँच, नो, शून्य, पाठ, नो पोर एक, इस अंक क्रमसे मो संम्पा उत्पन्न हो उतने योजन और छप्पन भाग अधिक दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तपा पकूट और सूर्य नामक दो पर्वतोंकी पादिम लम्बाई ( १९८०६५०१ यो. ) है ॥२८॥ १९७१५०२+ १४४ =१९७१५.२ यो है।
दोनों पक्षार-पर्वतोंको मध्यम सम्माईघन-मन-गन-गि-प्रह-पव-एक अंसा सयं महत्तरियं । पर परम - कूर तह सूर • सम्बए मान - बोहत ॥२६००।
१९८१९०४ । ।
१... क. ब. र. धनुषाए। २. ३. बोम्हं पि विषयाशंसं दो पि गिरोणमामि ।