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तिलोयपणती [ गाणा : २४५२-२०१४ प्र :--शून्य, सात, सात, शून्य, चार, नी और एक. इस अंक कमसे जो संम्मा मिर्मित हो उतने योजन और एफसी पइसठ भाग अधिक उपयुक्त दोनों क्षेत्रों तथा ( चित्रकूट और देवमाल नामक ) दो वक्षार-पर्वतोंको क्रममा अन्तिम और पाविम लम्बाई है ॥२८॥ १९३१३२२६१ + १४४ १९४०७७.१० योजन ।
दोनों वक्षारोंकी मध्यम लम्बाईपण-वो-सग-इगि-बउरो, भोक जोयन हसरी अंसा । मरिमाल विचकू, होरि तहा देवपाए दोहं ॥२२॥
१९४१७२५ । । प:-पाव, दो, सात, एक, पार, नौ और एक, इस मंक ऋमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और छपत्तर भाग प्रमाण अधिक चित्रकूट एवं देवमाल पर्वतकी मध्यम लम्बाई (१६४१७२५१ योजन) है ॥२८६२।।
१९४०७७-18+ ६५४३-१९४१७२५ र यो ।
दोनों वक्षारोंको मन्तिम और दो देशोंकी प्रादिम लम्बाईपष-सम-छ-हों पर-पव-गि कलछानवि-हिय-सयमेक्स। हो - बक्सार - गिरीणं, प्रतिम आदी सुका - षिलए ॥२६॥
१९४२ ६७ । । म :-नौ, सात, सह, दो, चार, नौ पौर एक, इस अंक क्रमसे ओ संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ सधान भाग अधिक दोनों रक्षार-पर्वतोंकी अन्तिम तया सुकच्छा और गन्धिला देशकी आदिम सम्बाई ( १९४२६७६४ योजन ) है ॥२५॥ १९४१७२xRr+ १५४१-११४२९७९ यो० है ।
वोनों देशोंकी मध्यम लम्बाईअटु - डुरोप दो - पग - नवेक मंसा म तालमेताणि । मग्मिल्लय • बोहत, बिजयाए सुकन्छ - गंधिलए ।।२८६४॥
१६५२१२८ । १