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________________ ___३४ | पाक ... असिमापार : २७१२-२७३४ पोनों देशोंको अन्तिम और वो वक्षार पर्वतोंको प्रादिम लम्बाईसग-जय-तिय-छाउग, भागा ते चेव चोणि-विजयागं । दो • वाखार - गिरोणं, असिम - प्राविल्ल • दोहतं ॥२७३२।। २४६३६७ । १३ । :-उपर्युक्त दोनों देशोंकी अन्तिम तथा पाविष और बनवणकूट नामक दो वक्षार-पवंतोंको मादिम लम्बाईका प्रमाण सात, नौ, तीन, यह, रार और दो, इस अंक-क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसौ बहत्तर भाग अधिक पात् २४६३६७१ योजान है ॥२७३२।। २५०६८११२३ – ४५८४-२४६३६७१ योजन । दोनों वक्षार पर्वतोंको मध्यम लम्बाईगभ-को-गव-पम-बाउ-युग, पंसा तह वारसहिय-सममेक्कं । मम्मि होवि वोह, आसीविस - वेसमण - पूरे ॥२५३३॥ २४५९२० 135 प:-माशीविष तया वैश्रवणकूटकी मध्यम लामाई शून्य, दो, नौ, पाप, चार और दो, इस घंक-क्रमसे जो संख्या उत्पन्न होतो है उससे एकसौ बारह भाग अधिक अर्थात् २४५९२०१७ योजन प्रमाण है ।।२७३३।। २४६३१७ - ४७७४६ २४५६२० योजन । दोनों पर्वतोंको अन्तिम और दो देशोंकी प्रादिम लम्बाईतिय-बच-बड़-परण-पर-दुग, अंसा बापन्न बोगिन-वक्खारे। दो - विजए मंतिल्ल, कमसो माहिल - बौहत्त ।।२७३४॥ २४५४४३ I I अर्थ :-दो वक्षार-पर्वतोंको मन्तिम भोर महामस्सा तपा नलिना नामक दो देशोंकी प्रादिम लम्बाई सोन, पार, बार, पौष, चार प्रोर दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे बावन-भाग अधिक अर्थात् २४५४४३५ योजन प्रमाण है ।।२७३४॥ २४५९२० - ४७७४१-२४५४४३ योजन ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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