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________________ आषा : २६१७-२६९९ ] पत्थो महाहियारो । ७२३ म :-दोनों देशोंको अन्तिम और गम्भीरमालिनी एवं पंकवती नामक दो विमंग नदियोंकी प्रादिम सम्बाई नौ, एक, नो, सात. यह और पांच इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने पोजन और पूर्वोक्त एकसौ वतीस भाग अधिक (५६७११९२१३ योजन प्रमाण) है ॥२६९।। ५६३३३५३१३+४५८४-५६७६ १९३३३ योजन । __दोनों विभंग नदियोंकी मध्यम लम्बाईअतिव-गभ-पर-छपण अंसा परसीरि-अहिय-सयमेश । गंभीरमालिणाए। मरिझल्ल पंकलिंगाए ॥२६६७।। ५६८०३८ । । प्र:-गम्भीरमालिनी मोर पंकवती नदियोंकी मध्यम सम्बाई पाठ, तीन, शून्य, आठ, छह पोर पाप इस अंक क्रमसे उत्पन्न हुई संख्याने एकसौ पौरासी भाग अधिक (५६८०३८ योजन प्रमाण वाया ? ५६७६१६३३ + ११९५६८०३ योजन । दोनों नदियोंको अन्तिम मौर दो देशों की प्रादिम लम्बाईअस्पन-गि-प्र-छप्पर मेसा चवीसमेत-रोहत। गोवं पदोग प्रतं, प्रादिल्लं रोसु विजयाणं ॥२६६८।। ५६८१५८ । । अर्थ :- उपयुक्त दोनों नदियोंको अन्तिम तथा पुष्कला एवं सुवप्रा देवमेंसे प्रस्पेककी पादिम लम्बाई बाठ, पांच, एक, आठ, ग्रह मोर पार इस बंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन पार पौबीस भाग अधिक ( ५६८१५८स योजन प्रमाण ) है ॥२६॥८॥ ५१८०३८ +११६१२-१६८१५८ यो । दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाई..हु-बाउ-सग-शोणि-सग-पण अंक-कमे मसमेव पुख्त'। मझिालय - दोहरा, पोक्खल - विजए सुबप्पाए ॥२६॥ ५७२७४२ । । १. द. ग. य. पुष्यंता, ब. क. . पुष्यत्ता ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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