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________________ भाषा : २६९१-९६६३ ] त्यो महाहियारो [ ७२१ धर्म :- उपर्युक्त दोनों विभंगनदियोंकी मन्तिम पौर श्रावर्ता तथा वप्रकावतो देशोंकी पामि लम्बाई गो, दो, वह आठ चार और पांच इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और बारह भाग अधिक ( ५४८१२६६१ योजन प्रमाण ) है २६ नो ५४८५०१३३+११ = ४४८६२६ योजन दोनों देशोंको मध्यम लम्बाई सिय-इगि -दु-लि-पण-पणयं, अंक-कमे जोयणाभि अंसा य । बारसमे मक्सि वोहं प्रावत - · ५४३२१३ | १२ 317 अर्थ :- भवर्ता और पप्रकाषसी देशोंकी मध्यम लम्बाई तीन एक, दो, तीन, पाँच, और पांच इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उसने योजन और बारह भाग अधिक ( ५४३२१३३३२ योजन प्रमाण ) है ।। २६६१।। ५४८६२६३+४५८४-५४३२१३३३० योजन | दोनों देशों को अन्तिम और दो वक्षार-पत्रोंकी आदिम लम्बाईसग-नव-सग-सग-पण-पण, अंसा ता' एव पोसु विजयाणं । तिल्लय बोहतं, आदिहलं सलिल पाग - बरे ॥२६६२ ॥ दम्पकावविए ॥२६६१ ॥ ५५३२१३१३+४५८४=*५७७९७३२५ योजन । - ५५७७६७ । २१३ अर्थ:-सात नी सात, सात, पाँच और पाँच इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उसने योजन और बारह भाग अधिक अर्थात् ५५७७२७.१३ योजन उपर्युक्त दोनों देशोंको अन्तिम लम्बाई तथा इतनी ( ५५७७६७३ योजन) हो नलिन एवं नागपर्वतकी आदिम लम्बाई है ।। २६६२ ।। दोनों वक्षार पर्वतोंकी मध्यम लम्बाई च-सत्त-योगि-अद्वय-परण-पद्म-अंकनकमेख साई । बाबसरि दीहां, मक्झिल्लं* णसिण- कूट-यागवरे ।।२६६३।। ५५८२७४ । २ । १. ६. एव । २.६.ब.क. म. प. उ. पाल र
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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