________________
४६ ]
तिलोयपाती
[ गापा : २२३९-२२४२ प:-नामसे प्रथम चित्रकूट, द्वितीय नलिनकूट, तृतीय पत्रकूट, चतुर्थ एकशेल, पाचर्चा त्रिकूट, छठा वषवरणकूट, सात अजनशल तथा भाठवां प्रामाजन, इस प्रकार उपवन एवं वापिकापोंसे रमणीय ये सब आठ गजदन्तपर्वत पूर्व विदेहमें प्रदक्षिणरूपसे स्थित हैं ।।२२३६-२२३८।।
अपर विदेहस्थ पाठ गजदन्तसहादि-बिजगदि प्रासीषिसया सुहाबही सुरिमो ।
वंदगिरि - सूर - पव्वर - जागगिरी वेषमालो ति॥२२३६॥ ए कर.... अनिये, अशा हिसाब
सब्वे पदाहिणेनं, उववच - पेरी • पहुषि - वृत्ता ।।२२४०१॥
पर्व:-श्रद्धावान्, बिजटावान, बाशीविषक, सुखावह, चन्द्रगिरि सूर्यपर्वत मागिरि एवं देवमाल, इसप्रकार उपवन-वेदी-आदिसे संयुक्त ये सब आठ गजदन्तपर्वत प्रदक्षिण रूपसे अपरविदेहमें स्थित हैं ॥२२३६-२२४०।।
- पूर्वापर विदेहस्थ विभंगनदियों के नामवह - गह - पंकवादीयो, तत्तजला पंचमी व मत्तजता ।
उम्मत्तजला की, पुरुषविदेहे विभंगमई ॥२२४१।।
मर्ष:-हवती, पाहवती, पवती, सप्तजला, मत्तमला और सम्मतबला, ये छह विभंगनदिया पूर्व विदेहमें हैं ।।२२४१।।
खोरोबो सीरोवा, ओसहवाहिरिण • गभीरमालिभिया । फेम्मिमालिगोओ अपर - बिहे विभंग - सरिया ॥२२४२॥
भ:-क्षीरोदा, सीतोदा, औषषवाहिनी (स्रोतवाहिनी ), गभीरमासिमी, फेनमालिनी मौर कमिमासिनी ये छह विमंगनदियाँ पपरविदेहमें स्थित है ॥२२४२।।
[ चित्र भगले पृष्ठ पर देखिये ]
... फ. स. उ. मंगपति विजापति।