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वाईक आचार्य भी सुविध
तिसोयपष्णली
[ गाया । २२२६-२२३१
वर्ग:- मन्दरपर्वत के पूर्व-पश्चिम भागों में पूर्व भपर- विदेह नामक सोलह क्षेत्र स्थित
:—
है ।। २२२५।।
सीबाए उमएस पासेसु भट्ट अट्ठ कय सीमा ।
चंद्र-वज्र-वक्लारेहि, विजया तिहि-तिहि विभंग-सरिया हि ।। २२२६ ।।
अर्थ :- सीतानदी के दोनों पाश्यंभागों में बार-बार वक्षार पर्वत और तीन-तीन विमंगनदियोंसे सीमित पाठ माठ क्षेत्र हैं ।। २२२६ ।।
पुव्व सोदाए दो
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विदेहस्संसे, जंबूदीवस्त जगदि पासम्मि ।
तडे
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:- पूर्व विदेहके अन्तमें जम्बूद्वीपको जगतीके पाश्व में सोतानदी के दोनों किनारोंपर रमणीय देवारण्य स्थित हैं ।। २२२७ ।।
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सोबोवाए वो पासेस मठ्ठ घट्ट कय - सोमा ।
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उ-उ-वक्ताहि, विजया तिहि-तिहि विभंग - सरिया हि ।। २२२८ ।।
:- सीतोदके दोनों पार्श्वभागों में चार-चार वक्षारपर्वत और तीन-तीन विमंग
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नबियोंसे सीमित बाठ काठ क्षेत्र है ।।२२२८१
सोदोवास
अवर बिदेहस्ते जंबूदोवल्स जगदि
सुदारणं
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पर तारण्य भी स्थित है ।।२२२६ ।।
वेवारणं वियं रम्मं ।। २२२७।।
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अर्थ :- अपर विदेहके अन्तमें जम्बूद्वीपको जगती के पार में सोतोदा नदीके दोनों किनारों
,
पासम्म ।
पि चे वि ।।२२२६॥
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दो पि विदेहेसु वक्तारविशे विभंत सिधूमो । चेते
एक्क्कं
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अंतरिवृणं सहावेगं ।। २२३० ।।
अर्थ :-- दोनों ही विदेद्दों में स्वभावसे एक-एकको व्यवहित करके वक्षारगिरि और विभंग नदियाँ स्थित है ।। २२३० ॥
सोवाए उत्तर सढे पुबसि भद्दताल देवीयो । गोलस्स दक्लि ते, पदाहिणं हवंति से विजया ।।२२३१।।
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