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________________ ५९६ ] वाईक आचार्य भी सुविध तिसोयपष्णली [ गाया । २२२६-२२३१ वर्ग:- मन्दरपर्वत के पूर्व-पश्चिम भागों में पूर्व भपर- विदेह नामक सोलह क्षेत्र स्थित :— है ।। २२२५।। सीबाए उमएस पासेसु भट्ट अट्ठ कय सीमा । चंद्र-वज्र-वक्लारेहि, विजया तिहि-तिहि विभंग-सरिया हि ।। २२२६ ।। अर्थ :- सीतानदी के दोनों पाश्यंभागों में बार-बार वक्षार पर्वत और तीन-तीन विमंगनदियोंसे सीमित पाठ माठ क्षेत्र हैं ।। २२२६ ।। पुव्व सोदाए दो - विदेहस्संसे, जंबूदीवस्त जगदि पासम्मि । तडे J :- पूर्व विदेहके अन्तमें जम्बूद्वीपको जगतीके पाश्व में सोतानदी के दोनों किनारोंपर रमणीय देवारण्य स्थित हैं ।। २२२७ ।। - " सोबोवाए वो पासेस मठ्ठ घट्ट कय - सोमा । + उ-उ-वक्ताहि, विजया तिहि-तिहि विभंग - सरिया हि ।। २२२८ ।। :- सीतोदके दोनों पार्श्वभागों में चार-चार वक्षारपर्वत और तीन-तीन विमंग J नबियोंसे सीमित बाठ काठ क्षेत्र है ।।२२२८१ सोदोवास अवर बिदेहस्ते जंबूदोवल्स जगदि सुदारणं - पर तारण्य भी स्थित है ।।२२२६ ।। वेवारणं वियं रम्मं ।। २२२७।। 1 - अर्थ :- अपर विदेहके अन्तमें जम्बूद्वीपको जगती के पार में सोतोदा नदीके दोनों किनारों , पासम्म । पि चे वि ।।२२२६॥ - दो पि विदेहेसु वक्तारविशे विभंत सिधूमो । चेते एक्क्कं - अंतरिवृणं सहावेगं ।। २२३० ।। अर्थ :-- दोनों ही विदेद्दों में स्वभावसे एक-एकको व्यवहित करके वक्षारगिरि और विभंग नदियाँ स्थित है ।। २२३० ॥ सोवाए उत्तर सढे पुबसि भद्दताल देवीयो । गोलस्स दक्लि ते, पदाहिणं हवंति से विजया ।।२२३१।। -
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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