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________________ गाचा : १७२१-१७२४ ] [ YU पउत्थो महादियारो हेमवत क्षेत्रका निम्पण . हमपरस्त य.उवा, चाल . । तस्स य उचर •बानों', भरह - सलामा सत्त-गुणो ३१७२१॥ :-हेमवत क्षेत्रका विस्तार उन्नीससे भामिन गालीस हार योजन और उसका उत्तर-बाण भरतक्षेत्रको पालाकासे मात गुणा है अर्थात् १६४ योजन है ।।१७२१॥ सत्ततीस • सहस्सा, बच सया सत्तरी य बज-अहिया । किचून • सोलस - काला हेमवदे उत्तरे जीना ॥१७२२॥ । ३७६७४ । प्राय:-हेमवतक्षेत्र के उत्तर-भागमें जोश सतीस हजार छहसा धौहत्तर योजन और कुछ कम सोलह कला प्रमाण है अर्थात ३७६७४योजन है ।।१७२२।। अनुतीस' - सहस्सा, सत्त - सया जोयपाणि चालीतं । दसय - कसा लिहिहः हेमबदस्सुसरं ना ॥१७२३।। । ३८४४०५५। पर्ष :-हेमपत क्षेत्रका उत्तर-धनुप प्रगतीस हजार सातसौ चालीस योपन पोर इस कसा मात्र निर्दिष्ट किया गया है अर्यात् ३८७४. मोजन है ।।१७२६॥ इमिहलरि - सति - सयाई जोयनानं वि। सच - कसा रल - माहिया, हेममा चूलिया एसा ॥१२॥ । यो ६०१ का :-हमन्त क्षेवकी भूलिकाका प्रमाश तिरेसठसी कहतर योषन और साढ़े सात कला ( ६३७१ योजन ) हो मिर्दिष्ट किया गया है ॥१७२४॥ १. . क. ग. हीणो । २. .. य. भातीमा !, 4. ग. ह. भ. प. मुत्तरा पाया।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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