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________________ उल्मो महाहिया ग्राम नग रादिकोंके लक्षण । वह परिवेडो गामो, नपरं चउगोडरेहि रमणि गिरि-सरिकव-परिवेद, खेडं गिरि-बेडिय थ कव्व ।। १४१० ।। गाया : १४१०- १४ts ] · :- सेवेत ग्राम, चार गोपुरो रमणीय नगर, पर्वत एवं नदीसे घिरा हुआ बेट और पवंससेवेष्टित कवंट कहलाता है ॥१४१०।। पण सय पर पमाण- गामव्हाणसूदं रयमाणं जोभी, - मदंब-णामं तु । पडून जासं विनिट्ठि ।। १४११ ।। जो पांच ग्रा.सें योनि ( खान ) होता है, उसका नाम पट्टन कहा गया है ।। १४९१।। - · - वेलाए 'वेडियं जाण । वोगामुहा हिहाणं, सरिबह संवाहणं ति बहु बिहरण महासेल सिहरत्वं ।। १४१२ ॥ [ । एवं विभवो सरतो । ] अर्थ :- समुद्रको बेलासे वेष्टित द्रोणमुख और बहुत प्रकारके अरण्योंसे युक्त महापर्वतके शिखर पर स्थित संवाहून जानना चाहिए । १४९२ : । इस प्रकार विभवकर वर्णन समाप्त हुआ । चक्रवर्तियोंके राज्य कालका प्रमाण भर छ-लव-पुल्या इग्रिसट्ठि सहस्स- वास-परिहोगा । सीस सहस्णाणि सत्तरि लक्खानि पुष्य सगरम् ।।१४१३ ॥ क. मेदिदं य, वेदवं । ४. ४. ब. क. स. प. उ. बेदिपं । - [ ४०७ नाम मय और जो उत्तम रत्नों की । पु६ ल । रिण वरिस ६१००० | सगर पुब्ब ७० ल । रिए ३०००० | वर्ष :- भरत चक्रवर्ती के [ राज्य-कालका प्रमाण ] इकसठ हजार वर्ष कम छह लाख पूर्व और सगर चक्रवर्ती राज्य-कालका प्रमाण तीस हजार वर्ष कम सत्तर लाख पूर्व प्रमाण Battan १. ६. ब. क. ज. य. ज. एरिकेदो। २. ४. ब. ब. स. म. स. परि. देव
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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