SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 382
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ fairs .. याई HAPTER RETREETE पापा ! १२१४-१२१७ । पठत्यो महाहियारो [ ३५५ भ:-परनाक भगवान्ने मैत्र-काष्णा प्रमावस्याको प्रत्यूर-कालमें सने अन्म (रोहणी) नक्षपके रहते एक हजार मुनियों के साथ सम्मेदशिखरसे मोक्ष प्राप्त किया है ।।१२१३॥ पंचमि-पदोस-समए, फागुन- पसम्मि भनि-मजते । सम्मेद मल्लिवितो, पंच - सय' - सामं पयो मोक्तं ॥११॥ ५०० म:-मल्सिनाथ तीपंकर फाल्गुन-कृष्णा पंचमीको प्रदोष समयमें भरपी मापक रहते सम्मेदसिंबरसे पाचलो मुनियों के साथ मोक्षको प्राप्त हुए है ।।१२१४।। सगुण-किव्हे बारसि-पहोस-सममम्मि जम्म-गरल। सम्मेरम्मि विमुको, सुखद • वो सहस्स पत्तो ॥१२१५।। ।१०००। प:-मुनिसुव्रतजिनेन्द्र फाल्गुन-कृष्णा बारसको प्रदोष समयमें अपने जन्म ( श्रवण) नक्षत्रके रहते एक हजार मुनियों के साथ सम्मेदशिखरसे सिबिको प्राप्त हुए हैं ।।१२१५॥ पइसाह-किह-बोइसि, पच्चूसे सम्म - भम्मि सम्मेदे । निस्सेयसं पबन्लो, समं सहासेन गाम - सामी ॥१२१६॥ । १०००। ब:-नमिनाथ स्वामी पाप-कृष्णा पतुर्दशीके प्रत्यूषकासमें अपने अन्म ( अश्विनी) नक्षत्रके रहते सम्मेदशिचरसे एक हजार मुनियोंके साप नि:श्रेयस-पयको प्राप्त हुए हैं ।।१२१६॥ बालदमी • परोसे, प्रासाडे आम्म - मम्मि उच्यते। छतीसाहिय - पन - संप - साहिबो नेमासरो सिको' ॥१२१७॥ म:-नेमिनाथ जिनेन्द्र भाषाक्-कृष्णा अहमीको प्रदोष कासमें अपने जन्म (चित्रा) नक्षत्रके रहते पांच सौ छारतोस मुनिराजोंके साथ ऊर्जयन्तगिरिसे सिद्धहए है ।।१२१७॥ १द... ज. . उ. समस्तमगहो । १.... निता।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy