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गाषा : १०६] चडत्यो महा हिमारो
[ २७७ प्र:-रत्नोंसे खबित उन सिंहासनों की ऊँचाई तोयफरोंकी ऊँचाईके ही योग्य हुमा करती है । इस प्रकार यहां तीर्थंकरोंके समयसरणोंका कमन किया गया है ।।६०३||
। इसप्रकार समवसरणोंका वर्णन समाप्त हुमा । गम्बकुटी का चित्रण
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