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गाया : ७५६ ] बस्यो महाहियारी
[ २३१ प्रम -पर्व मान तीर्य करके समवसरण में पानस्तानका प्राज्य अहो भाजित एक कम पाप सो धनुष प्रमाण पा। इन मामस्तम्भोंकी ऊंचाई अपने-अपने तीर्थरके छरीरकी ऊँचाईसे राह-मुणी होती है ।।५।।
जोयन-अहिवं उपप, माणस्पंभाग उसह-सामिम्मि । कम-हीचं गामा : एवं इस पर्व का शुजारि ।१८ BIKRAM
पान्तरम् ३४।३३।२२।३३।३० | १४ । ३८/६५। ३६/३४ | ३१/३२/३२/३४ /
३/३/३/३४/३/२/ २४ । ३५/४६/४/ म :-ऋषभनाथ स्वामोके समवसरणमें मानस्तम्भोंकी ऊंचाई एक योवनसे अधिक दी। शेष तीरोंक मानस्तम्भोंकी ऊँचाई क्रमवाः होन होतो गई है। ऐसा कितने ही आचार्य कहते हैं।७५६॥
पाठान्तरम