SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शिवस (1) समसमुह लवण समुद्र का आकार और विस्तारादि २४२८६४६ में पातालों का निरूपण २४३८६४९ "F के दोनों तटों पर और सिर पर स्थित नगरियों का दर्शन २४७५/६६२ पातालों के पार्श्वमागों मे स्थित पयंस २४८४६६४ समण समुद्रस्य सूर्यग्रपादिकों का निवेश २४६८१६६७ ४८ कुमानुषद्वीपों का निरूपण २५१६७० कुभोनमि में उत्पन्न मनुष्यों की आकृति २५२४३६७३ कुमानुषद्वीपों में कौन वस्थ होते हैं ? २५४०६७८ समुद्रस्य मत्स्यादिको की अवगाना लवण समुद्र को जगती २५५६६-१ २५५४।६६२ निकालने की दिपि सब समुद्र फे सूक्ष्म क्षेत्रफल का प्रमाण जम्बूदीप एवं जनसमुद्र के सम्मिलित क्षेत्रफल का प्रमाण जम्बूद्वीप प्रमाण सा निकालने का विमान समुद्र के जम्बूदीप प्रमाण का निरूपण गाचा/१०० पर्वत तालाब आदि का प्रमाण दोनों दीपों में विजयादिकों का सदस्य विजया एनाटिकों का विस्तार बारह कुल पर्वत और बार विजयार्थी की स्थिति एवं प्राकार विजयादिकों के नाम, आकार कुल पर्वतों का विस्तार याकार पर्वतों का विस्तार २५६१/६८२ २४६३३६८३ २५६४।६८३ २५६५६८४ २५६६।६८४ (४) दर्शन के सोलह अन्तराधिकारों के नाम २५६८ । ६६५ घातकी खादी की जगती २४७१।६८५ इष्वाकार पर्वतों का निरूपण २५७२।६६६ जिनभवन एवं व्यस्तरासादों का माध्य २५०० ६८७ मेरुपर्वतों का विस्पास त्रिों का विस्तार २५८१।६८० २५८२२६८६ २५८४|१८० २५६६६६६ २५८८६८६ २५६११६९० ४१ १५८६४६६१ २५६६२६६२ विचम गावा/० ० चाकांड में पर्वत क्षेत्र का क्षेत्रफल २६००/६६६ पादिम, मध्यम और बाल सूची निकालने का विधान २६०१।६९३ विवक्षित सूची की परिधि प्राप्त करने या विधान भानकी खण्ड को अभ्यस्त परिधि का प्रमाण २६०३६२४ घातकी संघ की मध्यम परिषि का प्रमाण २६०४१६६४ बाह्य २६०५।१६५ भरतादि सब क्षेत्रों का सम्मिलित विस्तार २६०६४६९५ धातकी खण्डस्य भरतक्षेत्र का मादि, मध्य और बाह्य विस्तार IN कुरुक्षेत्रों का धनुः पृष्ठ कुरुक्षेत्रों की जीवा पोर पुण्डरीकन से नियंत नदियों का पर्वत पर पसन का प्रमाण सम्बर पर्वतों का निरूपण गजदन्तों का वर्णन वृत विस्तार निकालने का विधान कुरुक्षेत्रों का इस विस्तार ऋजुवार निकालने का विधान कुरुक्षेत्रों का ऋण यत्रवाण घातकी पुल एवं उसके परिवार वृक्ष मेरु आदिकों के विस्तार का निकपण विजयादिकों का विस्तार निकालने का विधान " २६०२।६६४ कच्छा और गन्यमालिनी देश का चम्पा काम को परिधि बंरुद्ध क्षेत्र का प्रमाण विदेह क्षेत्र का आयाम कच्छा देश को बादिम जम्बाई अपने-अपने स्थान में जयं विवेह का विस्तार २६०७/६८६ २६१०३६६७ २६१३॥७०० २६१५।७०० २६३१।७०४ २६२३ / ७०४ २६३४/७५ २६३५।७०५ २६३६ । ७०५ २६३७२७०६ २६३६७०६ २६६६७० ६ २६४०1७.७ २६४४७०७ २६५०/७०९ २६५८२७११ २६६०।७१२ ૨૧૬પ૨ २६६२/७१२ २६६४।७१३ २६६६/०१३
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy