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________________ २१० । तिलोयपाणतो [ गापा : ७३६-७३७ प्र;-भगवान पाश्र्वनाथम समवसरण में वोथियों को दोषता अड़तालीससे भाजित एकसो पन्द्रह कोस और वर्षमान जिनके मड़तालीससे भाजित बानव कोस प्रमाण यो ॥ र वोहो-दो-पासेसु, णिम्मल- फलिहोबलेहि रहवाओ। दो वेदीयो चोहोबोहत-समाण-हता ।।७३३॥ २६EI २४ । २ २६०।२ ०७१ २४ [२४ । २ ४ । ४ । २४ २४२४ । २४ अर्थ :-वोषियों के दोनों पावं मागोंमें वीथियों को दोर्वताके सदश दीर्घतासे युक्त और निमंस स्फटिक-पाषाणसे रचित दो वेदियो होतो है ।।७३६।। देवीण रुच दंडा, अहिवाणि' सहस्सानि । अट्ठाइज्जमएहि, मेण होणागि मेमि- परी ॥७३७।। ६०० | ५७५० | ५५०० | ५२५०/४०°/7°/*/२५० / ४००० १ ३७५० । ३५:०१ ३२५० / ३००० | २७५० | २५०० | २२५० | ५००० १ १७५० | १५०० | १२५० १ १०००/७५० | म :-भगवान् ऋषभदेवके समवसरणमें वेदियोंकी मोटाई छह हजार पानुष प्रमाण थी। पुनः इससे बागे भगवान् नेमिनाय पर्यन्त क्रमश: उसरोतर भड़ाई सौ प्रवाई सौ कम होते गये हैं। ये सभी राशिमा प्राठ-आठसे भाजित है ।।७३७।। १. प, ब, य. पमिहोवदेहि। २. द. म. रहिवाणि, य. साहयाणि ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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