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तिलोयपाणतो
[ गापा : ७३६-७३७ प्र;-भगवान पाश्र्वनाथम समवसरण में वोथियों को दोषता अड़तालीससे भाजित एकसो पन्द्रह कोस और वर्षमान जिनके मड़तालीससे भाजित बानव कोस प्रमाण यो ॥ र
वोहो-दो-पासेसु, णिम्मल- फलिहोबलेहि रहवाओ। दो वेदीयो चोहोबोहत-समाण-हता ।।७३३॥
२६EI २४ । २
२६०।२ ०७१ २४ [२४ । २
४
।
४
।
२४
२४२४ ।
२४
अर्थ :-वोषियों के दोनों पावं मागोंमें वीथियों को दोर्वताके सदश दीर्घतासे युक्त और निमंस स्फटिक-पाषाणसे रचित दो वेदियो होतो है ।।७३६।।
देवीण रुच दंडा, अहिवाणि' सहस्सानि । अट्ठाइज्जमएहि, मेण होणागि मेमि-
परी ॥७३७।। ६०० | ५७५० | ५५०० | ५२५०/४०°/7°/*/२५० / ४००० १ ३७५० । ३५:०१ ३२५० / ३००० | २७५० | २५०० | २२५० |
५००० १ १७५० | १५०० | १२५० १ १०००/७५० |
म :-भगवान् ऋषभदेवके समवसरणमें वेदियोंकी मोटाई छह हजार पानुष प्रमाण थी। पुनः इससे बागे भगवान् नेमिनाय पर्यन्त क्रमश: उसरोतर भड़ाई सौ प्रवाई सौ कम होते गये हैं। ये सभी राशिमा प्राठ-आठसे भाजित है ।।७३७।।
१. प, ब, य. पमिहोवदेहि।
२. द. म. रहिवाणि, य. साहयाणि ।