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________________ १६८ ] तिलोयपणतो [ गाथा : ५५१ उसह पुण्य २० ल 1 अजिप पुष्व १८९। संभव पुष्य १५ स । अहिणदए पुम्ब १२५०००० । सुमइ पुन १० ल । पजमषह पुत्र ७५००००। मुपास पुष ५ ल 1 चंदप्पह पुष २५०००० | पुष्फयंत पुष २००० । सोयल पुम्न २५००० । सेमंस वस्स २१ ल । वासुसुम बस्स १८ ल । बिमल वम्स १५ ल । घणंत वस्स ७५०००० । धम्म वसा २५०००० । संति __ वस्स २५००० । कुषु वस्स २३७५० | बरणाह यस्स २५००० 1 प:-प्रथम जिनेन्टका कुमारकाल बोस लाल पूर्व और अजितनापको मादि लेकर पर जिनेन्द्र पर्यन्त अपनी-अपनी आयुके चतुर्थभाग प्रमाण कुमार-काल या EDIT तो कुमार-कालो, एग'-समं सग-सहस्स-पंच-सया । पनुबीस-सयं ति-सर्य, तीसं तीसे , कस्स ॥५६॥ मस्लिशाह १०० मुरिणसुध्वय ७५०० । लामि २५०० । णमि ३.० । पामणाह ३० । वीरणाइ ३० । ।। एवं कुमार-कालो समतो॥ पर्व:-इसके मागे कहतीपंकरोंका कुमारकास कमषा: एक सो, सात हजार पाँच सो { ७५००), पच्चीस सो. तीन सौ, तौस भोर सीस वर्ष प्रमाण वा IIRAM विचार्य:-गाथा मल्लिनामका कुमारकाल १०० वर्ष मात्र कहा गया है। इसका नई है कि उन्होंने १० वर्षकी मायुमें ही दीक्षा ग्रहण कर ली थी। दीक्षाके बाद वे ६ दिन एपस्प अवस्थामें और ४१ वर्ष ११ माह २४ दिन कैवलो अवस्थामें रहे। इन सबका योग (100+ १४८६५ वर्ष ११ माइ, २४ दिन - ) ५५००० वर्षे होता है और उनकी पायु भी इतनी ही यो। ।। इस प्रकार कुमार-काल समाप्त हुा ।। २. ६. एकमय। .. १....। ४, ..हमता, १. 4. 1.....। .. सम्पदा ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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