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________________ १६२ ) लिलोपपणाती [ गापा : ५६६-५७२ 1 सा ६० को । धण पुख्य य ८ ल । म:-पप्रेमको पतिस प्रोठ लाख पूर्व सहित न करी सारीपाका विच्छेद होनेपर भगवान पृथ्वदन्नकी उत्पत्ति हुई ॥५६८॥ गि-पम्ब-सबस-समाहिय-सामर-णब-कोरिमेत-कालम्मि । गलियम्मि पुप्फतुप्पत्तीको मोपपुष्पत्ती ५६६।। । मा को । धरण पुथ्व १ स । :- पुष्पदन्सको उत्पत्तिके अनन्तर एक लाख पूर्व सहित नौ करोड़ सागरोपमों के बीत जानेपर शीसलनायका जन्म हुआ ॥५६६।। बगि-कोडि-पन्न सक्ला-मौस-सहस्स-पास मेताए । अप्रभाहिए जलहि -उपमसये विहीनाए ॥५७०॥ बोलोणाए सायर-कोडीए पुम्ब-सरसा-शुत्ताए । सोयल-संबोडो, सेयंस-जिगस्त संभूबी ॥११॥ । सा को ? । पुष व १ न । रिण सागरोपम १०० । १५०२६००० । :-शीतलनाषकी उत्पत्ति के पश्चात् सो सागरोपम और एक करोड़ पचास लास अनीस हजार वर्षे कम एक लाख पूर्व सहित करोड़ सागरोपमों के प्रतिकान्त हो जानेपर श्रेयांस जिनेम उत्पन्न हुए ॥५७०-५७१।। बारस-हब-इगि-ससम्भहियाए बास-हि-मानेस । घउपनेतु गवेसु, सेयंस-भवावु बासुपुज्ज-भयो' ॥७२॥ । सा ५४ वस्स १२ ल । प:-येयांसनाथको उत्पत्तिके बाद बारह लाख वर्ष सहित पावन सागरोपमोंके व्यतीत हो जाने पर वासुपूज्य तोर्पकरका जन्म हुपा II७२|| १. स. पंचममा । २. ... ब. प. व. मा ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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