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तिलोयपगत्तो
[ गाथा : ५६-५६४ चौबीस तीर्थरोंके जन्मान्तरासका प्रमाणसुसम-दुसमम्मि णामे, सेसे घउसीरि-साल-पुम्मानि। माल-सए अब-मासे. गि-पाले उमह-उप्पत्ती ॥५६॥
॥ पुष व ८४ ल । व ३, मा ८.११॥ प्रर्ष:-सुषमदुषमा नामक कालमें चौरासी लान पूर्व, तीन वर्ष, माठ माह और एक पक्ष अवशेष रहने पर भगवान् शुष्मदेवका जाम हुमा ।।५६० ।। पन्नास-कोरि-सवला, बारसहव-wireबास-मान:
R भारम्हि सहिउबमा, उसष्पत्तीए अनिय उम्पत्ती ॥५६१॥
॥ सा ५० को स । पुश्व धण १२ ल । भ:-ऋषभदेवकी उत्पत्तिके पश्चात् पचास लाख करोड़ सागरोपम और बारहमान पूर्वोके व्यतीत हो जाने पर अजितनाथ तीर्थकरका जन्म हुमा ५६१॥
आह तीस-कोटि-सम्झे, बारस-हर-पुटब-लाल-वास । मलिम्मि उबहि-सबमे, अभियुप्पत्तीए संभइम्पत्ती ॥५६२।।
सा ३० को स । षण पुग्ध १२ न ॥ प:-मजितनायकी उत्पत्तिके परपान वारह लाख वर्ष पूर्व सहित तीस लाख करोड़ सागरोपमोंके निकल जाने पर सम्भवनापकी उत्पत्ति हुई ।।५६२॥
बस-पा-ला-संशुब-सायर-स-कोरि-साल-बोल्टए । संभव - उपसोए, अहिरम - देव - उप्पची ॥५६॥
। सा १० को ल । मरण पुन्च १० ल ।। प्रपं:-सम्भव जिनेन्द्रको उत्पत्तिके पश्चात् दस-लाख पूर्व सहित दस लाख करोड़ सागरोपमों के व्यतीत हो आने पर पभिनन्दननाथका जन्म हुआ ५६३।।
दस-पुम्ब-सास-संजुब-सायर-मब-कोरि-साल-परिखिते।
गंग • उप्पत्तीए, मुमा-जिविस उम्पती ॥५६४।। ... परिवते, क. ब. स. परिवते, प, परिवतो।