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________________ [१४१ गाश : ४८९-४६३] चउत्यो महाहियारो ___ मरुदेव कुलकरका निरूपण - चंदाहे सग्ग-गरे, सोवि-सहस्सेहि गुणिद-कोशि-हिये । पल्ले गम्मि अम्मर, मकवो पाम बारसमो IIveen कि ... A TEETTER AFTE ५८०००००००००००। प:-पन्द्राम कुलकरके स्वर्ग बने जानेके बाद अस्सी हजार करोड़ से भाजित पस्य व्यतीत होने पर मदेव नामक बारहवें कुलकरने जन्म लिया ॥४८६।। पंच - सया पत्तरि - साहिबा चावाणितस्स उच्छहो। इगि-सबल-कोडि-मजिवं, पलिदोवममाज - परिमाणं ।।४६०॥ । ५७५ । प १०.........। प:- उसके शरीरकी ऊँचाई पचिसो पचहत्तर धनुष बोर भायु एक लाख करोड़ से भाषित पज्योपम प्रमाण पी ।।६।। कंधण - णिहस्स तस्स य, सच्चा नामेण अणुवमा वेवो । तमताले गवता, मेघा परिसंति सडिवता' ||४|| :-स्वर्ण सदृश प्रभावासे उस कुलकरके 'सत्या' नामकी अनुपम देवी थी। उसके समयमें बिजली युक्त मेघ गरजते हुए बरसने लगे थे। ४११।। कदम - पवह • णवीओ, अपिटु-पुम्बाओ 'ताव वान। अविभीषाण गराणं काल - विभागं भनेदि' मरेको ।।४६२॥ प्रबं:-उस समय पहले कभी नहीं देखी गयी कीचड़ पुक्त जस-प्रवाहवाली नदियों को देख कर अत्यन्त भयभीत हा मनुष्योंको मरुदेव काल-विभाग प्ररूपित करता है ।।४९२॥ - --- - 1. क. प. म. न. दिवंता। २. द. ब. क. ज. प. स. साम। प. य. का. स. म. . ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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