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गाश : ४८९-४६३]
चउत्यो महाहियारो ___ मरुदेव कुलकरका निरूपण - चंदाहे सग्ग-गरे, सोवि-सहस्सेहि गुणिद-कोशि-हिये ।
पल्ले गम्मि अम्मर, मकवो पाम बारसमो IIveen कि ... A
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५८०००००००००००।
प:-पन्द्राम कुलकरके स्वर्ग बने जानेके बाद अस्सी हजार करोड़ से भाजित पस्य व्यतीत होने पर मदेव नामक बारहवें कुलकरने जन्म लिया ॥४८६।।
पंच - सया पत्तरि - साहिबा चावाणितस्स उच्छहो। इगि-सबल-कोडि-मजिवं, पलिदोवममाज - परिमाणं ।।४६०॥
। ५७५ । प १०.........। प:- उसके शरीरकी ऊँचाई पचिसो पचहत्तर धनुष बोर भायु एक लाख करोड़ से भाषित पज्योपम प्रमाण पी ।।६।।
कंधण - णिहस्स तस्स य, सच्चा नामेण अणुवमा वेवो । तमताले गवता, मेघा परिसंति सडिवता' ||४||
:-स्वर्ण सदृश प्रभावासे उस कुलकरके 'सत्या' नामकी अनुपम देवी थी। उसके समयमें बिजली युक्त मेघ गरजते हुए बरसने लगे थे। ४११।।
कदम - पवह • णवीओ, अपिटु-पुम्बाओ 'ताव वान।
अविभीषाण गराणं काल - विभागं भनेदि' मरेको ।।४६२॥
प्रबं:-उस समय पहले कभी नहीं देखी गयी कीचड़ पुक्त जस-प्रवाहवाली नदियों को देख कर अत्यन्त भयभीत हा मनुष्योंको मरुदेव काल-विभाग प्ररूपित करता है ।।४९२॥
- --- - 1. क. प. म. न. दिवंता। २. द. ब. क. ज. प. स. साम। प. य. का. स. म. . ।