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तिलोपत
[ गाथा : ३१३
द्वीप पर्यन्स नवीन अनवस्था कुण्ड बनाकर भरा जाएगा तब एक दाना शलाका कुण्डमें डाला जाएगा। पुनः उस नवीन अनवस्था कुण्डके सरसों ग्रहणकर आगे-आगे द्वीप समुद्रों में एक-एक दाना डालते हुए जहाँ सरसों समाप्त हो जाय, उतने व्यास बाला अनवस्था कुण्ड जब भरा जायगा तब पालाकर कुण्ड में एक दाना और डाला जाएगा। इसप्रकार करते हुए जब पुनः नवीन नवीन ( वृद्धिंगत ) व्यासको लिए हुए प्रथम अनवस्था कुण्डको सरसों के प्रमाण बराबर नवीन अनवस्वा कुण्ड बन चुकेंगे सब शलाकाकुण्ड भरेगा और दूसरा दाना प्रतिशलाका कुण्डमें डाला जाएगा ।
हसप्रकार बढ़ते हुए क्रमसे जितने सरसों प्रथम अनवस्था कृण्डमें थे, उनके वर्गे प्रमाण जब मनवस्था कुण्ड धन चुकेंगे तब शलाकाकुण्ड उनसे ही सरसों प्रमाण बार भरेगा तब एक बार प्रतिशलाका कुण्ड भरेगा और एक दाना महाशलाका कुण्डमें दाता आएगा । इसप्रकार क्रमशः वृद्धिंगत होनेवाला अनवस्था कुण्ड जय प्रथम अनवस्याकुण्ड की सरसोंके घन प्रमाण बार बन चुकेंगे तब प्रथम मन्नवस्था कुण्डकी सरसोंके वर्ग प्रमाण बार शलाका कुण्ड भरे जायेंगे, तब प्रथम अनवस्था कुण्डको सरसों प्रमाण बार प्रतिपालाका कुण्ड भरेंगे और तब एक बार महासलाका कुण्ड भरेगा ।
मानमो । — प्रथम अनवस्थाकुण्ड सरसोंके १० दानोंसे भरा था, अतः बढ़ते हुए व्यासके साथ १० मनवस्था कुण्डोंके बन जाने पर एक बार शलाका कुष्ड भरेगा तब एक दाना प्रतिशलाकामें डाला जाएगा। इसीप्रकार वृद्धिंगत व्यासके साथ १० के वर्ग ( १०×१० ) - १०० अनवस्थाकुपड बन जानेपर १० बार शलाका कुण्ड भरेगा तब एक बार प्रतिमासाका कृष्ड भरेगा और तब एक दाना महाशलाका कुण्डमें डाला जाएगा ।
इसीप्रकार बढ़ते हुए व्यासके साथ १० के घन ( १०४१०५ १० ) - १००० अनवस्था कुण्ड बन जाने पर १० के वर्ग ( १०×१० - १०० बार शलाका कुम्ट भरेगा सब १० बार प्रतिशलाका कुण्ड भरेगा और सब एक बार महाशलाका कुष्ट भरेगा । ]
[ कुण्डों का चित्र अगले पृष्ठ पर देखिये ]