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पृष्ठ सं०
पंक्ति सं०
शुद्ध
८६
गिरिगडरा
कायत
गिरिगडए
ऊध्र्वायत विशेषार्थ ४
०irx
५ धनराज घनफल ब्रह्मलोक के रज्जुस्सेघण रज्जुस्सेधेण बह्मस्वर्ग
धनराजू घनफल
ब्रह्मलोक से रजस्सेधेण रज्जूस्से घेण
१२५
ब्रह्मस्वर्ग
१२८
बाहल
बाहल्लं
१४८.
१०-११
पर्यन्त के बिल पृथिवी के शेप बिलों के एक बटे चार भाग से
पर्यन्त के सम्पूर्ण बिल
पृथिवी के शेष एक वटे चार भाग बिलों से
१८२
१८५
१० इन्द्रककों का
इन्द्रकों का गाथा १३१ टिप्पण २. द. पुस्तक एव के स्थान पर 'ब प्रतो नास्ति'
पढ़ना चाहिए। संदृशि का अन्तिम कॉलम प्रस्थान
परस्थान
०१३
31
२२०
बिलों में भी आयु
बिलों की भी आयु
संयुक्त हैं।
मंयुक्त होते हैं।