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नवमोऽध्यायः
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विशेषण होगया हैं, और घटाभाव विशेष्य होरहा है, अभावत्व, हेत्वंगत्व, निदर्शनांगत्व आदि विशेषणों का विशेष्य भो अभाव है, अतः घट, 'पट, काले, नीले, ज्ञान, इच्छा, शरीर, मनः आदि के समान अभाव भी वस्तुभूत पदार्थ है, तुच्छ नहीं है, इस प्रकार विस्तार से इस अभाव को वस्तु के अंगपन को अनेक सद्य क्तिपूर्ण वितर्कणायें करली जावे तिसकारण से हम जैनों के कार कोई भी उलाहना या दूषण नहीं लगपाता है। यों चिता के निरोप को भले हो अभाव पदार्थ मानलिया जाय फिर भी वह अन्य पर्याय स्वरूप होर हा वस्तुभूत है।
ननु चैकस्तत्र नैकाग्रवचनं कर्तव्यं ? किं तर्बेकार्थवचनं स्पष्टार्थत्वादिति चेन्नानिष्टप्रसगात् । कोचारोर्थव्यञ्जनयोगसंक्रान्तिरिति हीष्टं तत्र द्रव्ये पर्यायात् संक्र. माभावस्यानिष्टस्य प्रसंगः । एकाग्रवचनेपि तुल्यमिति चेन्न,आभिमुख्य सति पौनःपुन्येनापि प्रवृत्तिज्ञापनार्थत्वात् । आभिमुख्यवाचिनि ह्यग्रशद्वे सत्येकाग्रेणैवाभिमुख्येन चिन्तानिरोधः पर्याय द्रव्ये च संक्रामन्न विरुध्यते ।
यहां किसी शंकाकार का प्रश्न है कि "एकाग्रचिन्तानिरोध" यो इस प्रकार उस ध्यान के लक्षण में यह नहीं कथन करना चाहिये कि एक अग्र मे चिन्ता का निरोष करलेना ध्यान है, तब तो क्या निरूपण करना चाहिये ? इसपर यह कहा जासकता है कि "एकार्थचिन्तानिरोधः" एक हो अर्थ में चिन्ताओं को रोकलेना ध्यान है, ऐसा व्यक्त कहदेने से अर्थ भी स्पष्ट हो जाता है। जिस पदसे बाल, वृद्ध, वनिता तक समझ सके ऐसे सुस्पष्ट शब्द का उपादान करना परोपकृतिपरायण सूत्रकार महाराज को शोभा देता है। ग्रन्थकार कहते है कि, यह तो नहीं कहना क्योंकि एकार्थ कहदेने से अनिष्ट कहे जाने का प्रसंग आजवेगा। देखिये भविष्य में "वीचारोऽर्थव्यञ्जनयोगसंक्रान्तिः" यह कहनेवाले है, ध्येय अर्थ चाहे द्रव्य होय अथवा पर्याय होय और व्यञ्जन यानी वचन होय तथा काय, वचन, मनका अवलम्ब पाकर हुआ आत्मप्रदेशों का परिस्पन्द स्वरूप योग होय यों इनका परिवर्तन होना सूत्रकार को अभीष्ट होरहा है, उस अवस्थामे पर्याय से द्रव्य मे संक्रमण होजाना इष्ट है, यदि एकहि अर्थ मे चिन्ताओं के निरोध को ध्यान कहा जायगा ये दृव्य से पर्याय मे अथवा पर्याय से द्रव्य मे संक्रमण होजाने का आभाव जो कि अनिष्ट हैं, उसका प्रसंग बन बैठता है।
यदि पुनः शंकाकार यों कहे की एक अन कहने पर भी वह अनिष्ट का प्रसंग समाव है, एकान होकर जो ध्यान धरा जारहा है, तब भी द्रव्य से पर्याय मे या पर्याय