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श्लोकवार्तिक विषयसूची
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पंचमाध्याय सूत्र १
१-१५ बलाधान निमित्त अजीव कायके नाम
परिणामका लक्षण
६३ अजीवोंका लक्षण
सिद्धोंमें भी ऊर्ध्वगमनरूप क्रिया है सूत्र २
१५-२१ क्रिया व क्रियावान कथंचित भिन्न व अभिन्न ६६ द्रव्यका लक्षण
बौद्धोंका खण्डन
७० द्रव्यसे पर्याय कथंचित भिन्न
१६ कूटस्थ नित्य का खण्डन
७२ सूत्र ३
२१-२४ सूत्र
७३-७९ जीवके विषयमें बौद्धादि मतोंका खण्डन
धर्मादिक द्रव्य मुख्य रूपसे सप्रदेशी है २५-३२
सूत्र ५ नियतिवाद पर्याय ..
अनन्तकी व्याख्या द्रव्याथिकसे द्रव्य नित्य व अवस्थित पर्याया
प्रदेश और प्रदेशवानका कथंचित् भेद थिक नयसे अनित्य व अनवस्थित
कथंचित् अभेद
८०-८१ मूर्त द्रव्यके गुण कथंचित् मूर्त कथंचित्
अनेक द्रव्योंसे बना हुआ द्रव्य अनादि और अमूर्त हैं
अनन्त नहीं हो सकता
८३ सूत्र ५
३३-१४ वस्तुभूत कार्यका कारण उपचरितपदार्थ नहीं । रूपी शब्द का अर्थ मूर्त है।
३४
हो सकता मुख्य पदार्थ ही कारण होगा ८४ सूत्र ६
३४-३८ . अंश रहित पदार्थ सर्वव्यापी नहीं हो सकता ८५ धर्म अधर्म आकाशमें एक एक द्रव्य है किन्तु
व्यापकता व निरंशमें तुल्यबल विरोध है। जोव पुद्गल कालमें अनेक द्रव्य है ३६
परमाणु सावयव है सूत्र
आकाशके अनन्तप्रदेशत्वकी सिद्धि - अंतरंग बहिरंग निमित्तोंके मिलने पर
कल्पित पदार्थ सभी प्रकारसे अर्थक्रिया को देशान्तर प्राप्तिका कारण है वह क्रिया है ३८ . नहीं कर सकता
९२ 'सत्' लक्षण शुद्ध द्रव्यका है
४०
यदि ज्ञान के द्वारा जाना जानेसे आकाश 'गुणपर्ययवत्'। यह लक्षण अशुद्ध द्रव्यका है ४०-४१ ... अनन्त नहीं रहेगा तो वेदके भी अनन्तपनेका सदृशपरिणाम ही सामान्य है
प्रभाव आ जायगा सामान्य भी अनित्य है
वस्तुको यथार्थ जानना प्रमाणका स्वभाव है अन्तरंग और बहिरंग कारणोंके मिलने पर ..
अतः अनन्तको अनन्त रूपसे जानता है ही क्रिया व अन्य पर्याय होती है
सूत्र १०
९७-१०४ तीनों जगत्में व्यापनेवाले पदार्थों के क्रिया
'परमाणु ही स्कंध नहीं है' इसका खंडन ९९ नहीं होती
सूत्र ११
१०४-११२ काल द्रव्य कालाणु रूप है ५२ . . परमाणु एक प्रदेशो है
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