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तत्त्वार्यश्लोकवार्तिके
आत्मद्रव्यं ज्ञ एवेष्टः सर्वज्ञः परमः पुमान् । कैश्चित्तद्यतिरिक्तार्थाभावादित्यपसारितं ॥ ३॥ द्रव्येष्विति बहुत्वस्य निर्देशात्तत्ससिद्धितः । वर्तमानेऽस्तु पर्याये ज्ञानी सर्वज्ञ इत्यपि ॥ ४ ॥ पर्यायेष्विति निर्देशादन्वयस्य प्रतीतितः ।
सर्वथा भेदतत्वस्य यथेति प्रतिपादनात् ॥५॥
किन्हीं ब्रह्माद्वैतवादियोंने परमपुरुष और सबको जाननेवाला ज्ञातास्वरूप अकेला आत्मा द्रव्य ही अमीष्ट किया है । उस आत्मासे अतिरिक्त दूसरे घट पट आदिक अर्थोका अभाव है। अतः अद्वैत आत्मा ही एक तत्व है । इस प्रकार अद्वैतवादियोंके मतका सूत्रमें कहे गये "द्रव्येषु" इस प्रकार बहुब वन के निर्देश निराकरण कर दिया गया है । अर्थात्-अकेला आत्मा ही तस्व नहीं है। किन्तु अनन्तानन्त आत्मायें हैं, तथा आत्माओंके अतिरिक्त पुद्गल, कालाणु आदिक भी अनेक द्रव्य जगत्में विद्यमान हैं । प्रमाणोंसे उन द्रव्योंकी सिद्धि कर दी गयी है। तथा कोई बौद्ध विद्वान् यों कहते हैं कि सबको जाननेवाला सर्वज्ञ भी वर्तमानकालकी विद्यमान पर्यायोंमें ही ज्ञानवान् होवो, किन्तु नहीं विद्यमान हो रहीं भूत, भविष्यत् कालकी पर्यायोंको अथवा अनादि, अनन्त, अन्वित द्रव्योंको वह सर्वज्ञ नहीं जान पाता है । क्योंकि द्रव्यतत्त्व तो मूलमें ही नहीं हैं। और भूत, भविष्यत् कालकी पर्यायें ज्ञानके अव्यवहित पूर्वकालमें विद्यमान नहीं हैं, जिससे कि वे ज्ञानकी उत्पत्तिमें कारण बन सकें । जो ज्ञानका कारण नहीं है, वह ज्ञानका विषय भी नहीं होता है। अतः वर्तमान काल या अव्यवहित पूर्व समयकी पर्यायोंको ही सर्वज्ञ जान पाता है। अब आचार्य कहते हैं कि इस प्रकार बौद्धोंका कहना भी निराकृत हो जाता है । क्योंकि उमास्वामी महाराजने सूत्रमें " पर्यायेषु " इस प्रकार बहुवचनान्तपदका प्रयोग किया है। अतः तीनों काल सम्बन्धी पर्यायोंमें केवलज्ञानकी प्रवृत्ति है। पूर्वकालवत्तरी पर्यायोंका समूल चूल नाश नहीं हो जाता है। किन्तु एक द्रव्यकी कालत्रयवत्ती पर्यायोंमें गंगाकी धाराओंके समान अन्वय जुड रहा प्रतीत होता है। तथा अनादिसे अनन्तकालतक वर्त रहा नित्यद्रव्य भी वस्तुभूत पदार्थ है । पर्यायें कथंचित् मिल हैं, और द्रव्य कथंचित् अभिन्न है। जिस प्रकार सर्वथा भेदरूप अथवा अमेदरूप तत्त्व वास्तविक नहीं बन सकता है । इसको हम पहिले प्रकरणोंमें कह चुके हैं। मालास्वरूप वस्तुमें मणिका ( दाने ) तो पर्यायोंके समान है। और पिरोये हुये डोरेके समान द्रव्य अंश है। पर्याय और इच्य इन दोनों अंशोंका समुदाय अंशी वस्तु है। केवलज्ञान सम्पूर्ण पदार्थोको जानता है।