________________
तत्त्वार्थचिन्तामणिः
२१९
तदंशो द्रव्यपर्यायलक्षणौ साध्यपक्षिणौ । . नीयेते तु यकाभ्यां तौ नयाविति विनिश्चितौ ॥ ७ ॥
जिस कारणसे कि उन सामान्य और विशेषरूपसे यहां नयोंका लक्षण दिखलाने योग्य है, तिस कारण जिस करके श्रुतज्ञानसे जाने हुये अर्थका अंश प्राप्त किया जाय यानी जाना जाय वह ज्ञान नियमसे नय कहा जाता है । प्रमाण आत्मक श्रुतबानसे जाने गये उस वस्तुके दो अंश हैं। एक द्रव्यस्वरूप अंश है। दूसरा पर्यायस्वरूप अंश हैं । जो कि नयों के द्वारा साधने योग्य पक्ष में प्राप्त हो रहे हैं। जिन दो नयों करके वस्तुके वे दो अंश प्राप्त करलिये जाय वे दो नय हैं। इस प्रकार विशेषतया दो नय निर्णीत करदिये गये हैं। नयका सामान्य लक्षण सभी विशेष नयोंमें घटित हो जाता है । सामान्य नयका विषय भी सभी नेय विषयोंमें अन्वित हो रहा है। ___ नीयतेऽनेनेति नय इत्युक्ते तस्य विषयः सामर्थ्यांदाक्षिप्यते । स च श्रुताख्यप्रमाणविषयीकृतस्यांश इति तदपेक्षा निरुक्तिर्नयसामान्य लक्षणे लक्षयति, तथा नीयेते यकाभ्यां तौ नयावित्युक्ते तु द्रव्यार्थिकपर्यायार्थिको नयौ द्वौ तौ च द्रव्यपर्यायाविति तदपेक्षं निर्वचनं नयविशेषद्वयलक्षणं प्रकाशयति ।
जिस करके अंशका ज्ञान कराया जाय ऐसा ज्ञान नय है, इस प्रकार कह चुकनेपर उस नयका विषय तो विना कहे हुये भी शद्वकी सामर्थ्य द्वारा आक्षेपसे लब्ध हो जाता है। और वह विषय पहिले नहीं विषय होता हुआ श्रुतज्ञान नामक प्रमाण द्वारा अब विषय किये जा चुके प्रमेयका अंश है। इस कारण उस विषयकी अपेक्षा हो रही निरुक्ति यहां नयके सामान्य लक्षण में दिखग दी जाती है। यहां एक विषय और एक ही विषयी है । तथा जिन दो बापकों करके वस्तुके दो अंश गृहीत किये जाते हैं, वे दो नय हैं। इस प्रकार कहनेपर तो द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक दो नय ज्ञापक हुये और उनके विषय तो वस्तु के दो अंश द्रव्य और पर्याय हुये। इस प्रकार उन द्रव्य और पर्यायोंकी अपेक्षासे किया गया नय शब्दका निर्वचन तो नयके दोनों विशेष लक्षणोंका प्रकाश करा रहा है। दो विषयोंकी अपेक्षा दो ज्ञापक विषयी निर्णीत किये जाते हैं।
ननु च गुणविषयो गुणार्थिकोपि तृतीयो वक्तव्य इत्यत्राह।
यहां प्रश्न है कि वस्तुके अंश हो रहे द्रव्य, गुण, और पर्याय तीन सुने जाते हैं । जब कि द्रव्यको विषय करनेवाला द्रव्यार्थिक नय है और पर्याय अंश को जाननेवाला पर्यायार्थिक नय है । तब तो तिस ही प्रकार नित्यगुणोंको विषय करनेवाला तीसरा नय गुणार्थिक भी यहां कहना चाहिये । इस प्रकार प्रश्न होनेपर यहां श्री विद्यानन्दस्वामी उत्तर कहते हैं ।