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तत्त्वार्थकोकवार्तिक
येपि चात्ममनोक्षार्थसन्निकोद्भवं विदुः । प्रत्यक्षं नेश्वराध्यक्षसंग्रहस्तैः कृतो भवेत ॥ ३३ ॥ नेश्वरस्याक्षजं ज्ञानं सर्वार्थविषयत्वतः। नाक्षैः सर्वार्थसंबंधः सहैकस्यास्ति सर्वथा ॥ ३४ ॥ योगजाज्ज्ञायते यत्तु ज्ञानं धर्मविशेषतः। न सन्निकर्षजं तस्मादिति न व्यापिलक्षणं ॥ ३५॥
जो भी कोई विद्वान् प्रत्यक्षको आत्मा, मन, इन्द्रिय, और अर्थके सन्निकर्षसे उत्पन्न हुआ जान रहे हैं, उन करके ईश्वरके प्रत्यक्षका संग्रह करना नहीं हो सकेगा। क्योंकि ईश्वरका ज्ञान ( पक्ष ) इन्द्रियोंसे जन्य नहीं है ( साध्य ) । क्योंकि वह सम्पूर्ण अर्योको विषय करनेवाला है, ( हेतु )। एक जीवके एक ही बारमें सम्पूर्ण अर्थाका इन्द्रियोंके साथ संबंध होना सर्वथा नहीं सम्भवता है। यदि जो योगसे उत्पन्न हुये विशेष अतिशयरूप धर्मसे उत्पन्न हुआ ज्ञान सम्पूर्ण अर्थीको जान लेता है, ऐसा मानोगे, तब तो प्रत्यक्ष सनिकर्षजन्य न रहा । तिस कारण वह प्रत्यक्षका इन्द्रियार्थ सनिकर्ष जन्यत्व लक्षण सम्पूर्ण लक्ष्योंमें व्यापक न हुआ, अतः अव्याप्ति दोष हो गया ।
ननु च योगजाद्धर्म विशेषात् सर्वार्थैरक्षसन्निकर्षस्ततः सर्वार्थज्ञानमित्यक्षार्थसभिकर्षजमेव तत् । नैतत्सारं । तत्राक्षार्यसनिकर्षस्य वैयर्थ्याद । योगजो हि धर्मविशेषः सर्वाक्षिसनिकर्षमुपजनयति न पुनः साक्षात्सर्वार्थज्ञानमिति स्वरुचिप्रदर्शनमात्र, विशेषहेत्वभावादित्युक्तमायम् ।
वैशेषिकोंका अनुनय है कि विशिष्ट समाधिसे उत्पन्न हुये धर्मविशेषसे इन्द्रियोंका सम्पूर्ण अर्थोके साथ सन्निकर्ष हो जाता है। उससे सम्पूर्ण अर्थोका ज्ञान हो जायगा । इस प्रकार वह ईश्वरका ज्ञान भी इन्द्रिय और अर्थके सन्निकर्षसे उत्पन्न हुआ है । प्रन्थकार कहते हैं कि यह वैशेषिकों कथन निःसार है । क्योंकि उस सर्वज्ञके प्रत्यक्षमें इन्द्रिय और अर्थका सन्निकर्ष व्यर्थ पडता है। योगसे उत्पन हुआ विशेषधर्म नियमसे सम्पूर्ण अर्थोके साथ इन्द्रियके सनिकर्षको तो उत्पन्न करा देता है। किन्तु फिर विशदरूपसे संपूर्ण अर्थोके ज्ञानको साक्षात् नहीं करा पाता है। यह वैशेषिकोंका अपनी रुचिका केवल बढ़िया ढोंग दिखलाना है । इसमें कोई विशेष कारण नहीं है। इस बातको हम पहले कई बार कह चुके हैं। जैनसिद्धान्तके अनुसार समाधिसे ही एक विशिष्ट अतिशय ( केवलज्ञान ) उत्पन्न होता है, जिससे युगपत् सम्पूर्ण पदार्थोंका प्रत्यक्ष हो जाता है। बीचमें सनिकर्षका रोडा अटकानेकी आवश्यकता नहीं है।