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तत्वार्यचिन्तामणिः
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करते हैं । हम स्याद्वादी तो पहिलेसे ही ऋजुसूत्र नयसे पदार्थोंका क्षणिकपन व्यवस्थित करचुके हैं। हां, केवल इस प्रकरण में यह कहना है कि जैसे ऋजुसूत्र नयसे एक क्षणतक ही ठहरनेवाला पदार्थ अपने कारणोंसे उत्पन्न हुआ है, तिसी प्रकार द्रव्यार्थिकनयसे जाना गया अधिक काल ठहरनेवाला पदार्थ ही ( भी ) अपने कारणोंसे उत्पन्न हुआ है यह हम व्यक्त रूपसे कहते हैं । सभी प्रकारोंकरके बाधारहित प्रमाणोंसे उस कालांतरस्थायी ध्रुव पर्यायकी सिद्धि हो जाती है। इस प्रकार पदाant अधिगतिका पांचवा उपाय स्थिति समझलेना चाहिये ।
विश्वमेकं सदाकाराविशेषादित्यसंभवि ।
विधानं वास्तवं वस्तुन्येवं केचित्प्रलापिनः ॥ २५ ॥ सदा काराविशेषस्य नानार्थानामपन्हवे । संभवाभावतः सिद्धेर्विधानस्यैव तत्त्वतः ॥ २६ ॥
अब छठे विधानकी सिद्धिका प्रसंग उठाते हैं। प्रथम ही अद्वैतवादी भेद या प्रकारोंके निषेअनुमान कहते हैं कि सम्पूर्ण संसार एकस्वरूप है । क्योंकि सबमें सत् आकारपना विशेषताओंसे रहित होकर वर्त्त रहा है । इस कारण वस्तुमें वास्तविक रूपसे भेदोंकी गणना असम्भव दोषसे युक्त है। इस प्रकार कोई ब्रह्माद्वैतवादी व्यर्थ बकवाद कर रहे हैं। क्योंकि अनेक अर्थोके न मानने पर सत् आकारोंकी अविशेषता होनेका सम्भव नहीं है । अतः वास्तविक रूपसे प्रकारोंकी की ही सिद्धि हो जाती है । अर्थात् - सामान्य रूपसे सत्पना विशेष भेदोंके होनेपर ही सम्भवता है । अतः विधान सिद्ध होजाता है । " निर्विशेषं हि सामान्यं भवेत् खरविषाणवत्'
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सर्वमेकं सदविशेषादिति विरुद्धं साधनं, नानार्थाभावे सदविशेषस्यानुपपत्तेस्तस्यभेदनिष्ठत्वात्
विश्वके सम्पूर्ण पदार्थ सामान्यरूपसे सत् होनेके कारण एक हैं, इस अनुमानमें दिया गया सदविशेष यह हेतु विरुद्धहेत्वाभास है । अनेक अर्थोको माने विना सत्तारूपसे अविशेषपना नहीं बन पाता है। क्योंकि वह सत्का सामान्यपन विशेषस्वरूप भेदोंमें स्थित हो रहा है। अतः अभेदको सिद्ध करने चले थे और भेद सिद्ध हो जाता है । प्रकृत हेतु तो एकत्व साध्यसे विपरीत अनेक पनके साथ व्याप्ति रखनेवाला होनेसे विरुद्ध हेतु है ।
ननु च सदेकत्वं सदविशेषो न तत्साधर्म्यं यतो विरुद्धं साधयेदिति चेन्न, तस्य साध्यसमत्वात् । को हि सदेकमिच्छन् सर्वमेकं नेच्छेत् ।
अद्वैतवादी अपने मतका अवधारण करते हैं कि सत्तापनसे अविशेषताका अर्थ तो सत्तारूपसे कपन है । उस सत्तारूपसे समपन उसका अर्थ नहीं है । जिससे कि हमारा हेतु साध्यसे विरुद्ध