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तत्त्वार्थचिन्तामणिः
एकान्तवादियोंके माने गये सर्वथा एकांतोंमें अव्याप्ति दोष आता है । तथा संकर और व्यतिरेकसे भी जीव आदिकोंका निक्षेप नहीं है । इसका भावार्थ-यों है कि एक पदार्थ दूसरे पदार्थके संकर ( एक दूसरेके गुणपर्यायोंका मिल जाना ) से भी नहीं समझाया जाता है और व्यतिरेक ( कोरे अभावोंसे अथवा एक दूसरेमें विषयगमन करनेसे ) से भी बोद्धव्य नहीं है, इसमें अतिव्याप्ति दोष आता है। इसका अभिप्राय यही है कि चारोंसे ही भिन्न भिन्न पदार्थोका अपने अपने स्वरूपमें ज्ञानके उपयोगी लोकव्यवहार होता है । तहां सबसे पहिले नाम निक्षेपका लक्षण करते हैं
संज्ञाकर्मानपेक्ष्यैव निमित्तान्तरमिष्टितः। नामानेकविधं लोकव्यवहाराय सूत्रितम् ॥ १॥
दूसरे निमित्तोंकी नहीं अपेक्षा करके ही केवल वक्ताकी इच्छासे लोक व्यवहारके लिये अनेक . प्रकारकी संज्ञा करना, नामनिक्षेप है । ऐसे नामको प्रकृत सूत्रमें गूंथा है ।
न हि नानोऽनभिधाने लोके तव्यवहारस्य प्रवृत्तिर्घटते येन तन्न सूत्र्यते । नापि तदेकविधमेव विशेषतोऽनेकविधत्वेन प्रतीतेः।।
__ नाम निक्षेपका कथन न करने पर लोकमें उस इन्द्रदत्त, जिनदत्त आदि नामोंके व्यवहार की प्रवृत्ति नहीं घटित होती है जिससे कि उस नामको सूत्रमें न कहा जावे, अर्थात् नामके द्वारा व्यवहारकी प्रवृत्तिके लिये सूत्रमें सबसे पहिले नाम निक्षेपका कथन करना आवश्यक है। दूसरी बात यह भी है कि वह नाम एक प्रकारका ही नहीं है। किन्तु विशेषोंकी अपेक्षासे अश्व, गौ, महिष,. देवदत्त, वीरदत्त, ग्राम, दुर्ग, विद्यालय, आदि अनेक प्रकारोंसे प्रतीत होरहा है। .. किञ्चिद्धि प्रतीतमेकजीवनाम यथा डित्थ इति, किञ्चिदनेकजीवनाम यथा यूथ इति, किंञ्चिदेकाजीवनाम यथा घट इति, किश्चिदनेकाजीवनाम यथा प्रासाद इति, किञ्चिदेकजीवैकाजीवनाम यथा प्रतीहार इति ।
कोई कोई नाम तो ऐसा निश्चित हो रहा है कि वह एक ही जीवका नाम है, जैसे कि एक विशेष पुरुषका नाम डित्थ रख दिया है यह एक ही जीवका नाम है, अन्य जीव या अजीव पदार्थ तो डित्थ नामसे नहीं कहे जा सकते हैं । काठके हाथीपनरूप निमित्तकी नहीं अपेक्षा कर किसी व्यक्तिका नाम डिस्थ रख दिया है । ऐसे ही जयचन्द्र, नेमीचन्द्र, आदि शद्ध हैं । तथा कोई कोई नाम ऐसा है जिससे कि अनेक जीव कहे जाते हैं, जैसे कि अनेक हाथियोंका झुण्ड यूथ है यूथ शब्द एक है। किन्तु उसके वाच्यार्थ अनेक जीव हैं । ऐसे ही सेना, जनता आदि शब्द हैं। तथा कोई एक अजीवका वाचक नाम है, जैसे कि घट । इसी प्रकार थाली, दण्ड आदि भी एक अजीवके वाचक नाम हैं। और कोई अनेक अजीवोंका बाचक एक नाम है, जैसे कि प्रासाद (हवेली, कोठी,
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