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________________ ४२-४३ ४८ ~ तत्त्वार्थसार ख्याधिकनयके भेद पर्यायाधिकमयके भेद और अर्थ नय तथा शब्दनयका विभाग नंगमनयका लक्षण संग्रहनयका लक्षण व्यवहारमयका लक्षण ऋजसूत्रनयका लक्षण पाब्दनयका लक्षण समभिरुवनयका लक्षण एवम्भूतनयका लक्षण नयोंकी परस्पर सापेक्षता पदार्थों के जानने के उपाय-निर्देश, स्वामित्व आदि सत्चोंके जाननेके अन्य उपाय-सत्, संख्या आदि सात तत्वोंके जानने की प्रेरणा द्वितीय अधिकार मङ्गलाचरण और प्रतिज्ञावाक्य जीवका लक्षण औपशमिक आदि पांच भावोंके नाम भोपशामिकभावके भेद क्षायोपमिकभावके भेद सायिकभात्रके भेद बौदायिकभाबके भेद पारिणामिकमावके भेद जोयका लक्षण उपयोगके भेद जीवोंके भेद गुणस्थानोंके नाम मिथ्याल गुणस्थानका स्वरूप सासादन गुणस्थानका स्वरूप मिश्र गुणस्थामका स्वरूप असंयतसम्यग्दृष्टिका स्वरूप देशसयत गुणस्थानका स्वरूप प्रमत्तसंयत गुणस्थानका स्वरूप अप्रमत्तसंयत गुणस्थानका स्वरूप ४.५ १०-१३ २० ३.
SR No.090494
Book TitleTattvarthsar
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorPannalal Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size5 MB
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