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जैन (इन्जी०) ने वहन किया है, उनके अधक प्रयास का सुमधुर सुफल आपके हाथों में है। नवीन जी हमारे ही अभिन्न अंग हैं, अत: उन्हें क्या धन्यवाद दें।
प्रिटिंग का बहुसंख्य आर्थिकभार श्री रतनलाल जी जैन (वन्दनाप्रकाशन वाले) तथा ग्रंथ की कीमत कम कराने का बहुभाग श्री शिखरचन्द जी जैन, दिल्लीवालों ने वहन किया है। अन्य विशालहृदयी साधर्मियों ने दान देकर ग्रंथ की कीमत कम करायी, जिससे यह ग्रंथ आपको लागत से काफी कम मूल्य पर उपलब्ध हो रहा है। एतदर्थ श्री रतनलाल जी. श्री शिखर चन्द जी. सहयोगी साधर्मियों को साधुवाद ज्ञापित करता हूँ । प्रत्यक्ष एवं परोक्षरूप से प्रकाशनकार्य को सफल करने में निरंतर प्रेरणा देकर साहस बढ़ाने वाले विद्वानों का उपकार शब्दबाह्य है। प्रिटिंग का कार्य जे.के. ऑफसेट प्रिंटर्स, दिल्ली-6 वालों ने सुन्दर सुरूचिपूर्ण कराया है, अत: वे धन्यवाद के पात्र हैं।
ग्रन्थमाला का यह द्वितीय पुष्प आपके जीवन को सुगन्धित करे एवं इसके माध्यम से आप अपने स्वरूप को सतत सम्बोधते रहें- इसी मंगलभावना के साथ शब्दों को विराम देता हूँ।
पं० अरुण कुमार शास्त्री सचिव, शास्त्रप्रचार व प्रसार विभाग अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन
शाखः - अलवर (राज.)