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का मनोरमा की पुत्र महित देखकर कपिला के वचनों का अविश्वास तथा सूदर्शन से रमण करने की प्रतिज्ञा (५९-६९), राजभवन आकर रानी का व्याकुल होना । पंडिता धात्री का उसे समझाना । रानी का हट-प्राग्रह और पंपिता द्वारा विवश होकर उसकी अभिलाषा पूर्ण करने का वचन देना (७०-१०८)। अधिकार -अभयाकृत उपसर्ग निवारण व सोल-प्रभाव वर्णन
सुदर्शन सेट का धर्म पालन तथा अष्टमादि पर्व के दिनों में उपवास और रात्रिमें श्मशान में योग-साधन (१-३), यह जानकर पंडिता द्वारा कुम्भकार से सात पुरुषाकार पुतलियों का निर्माण तथा एक पुतली को लेकर राजमहल के प्रवेशद्वार में द्वारपाल से झगड़ा तथा उस पर रानी के व्रत भंग होने का आरोप लगा कर उससे क्षमा याचना कराना और इसी प्रकार एक-एक पुतली लेकर समस्त द्वारपालों को वशीभूत कर लेना (४-२०) । अष्टमी के दिन परिलता का श्मशान में जाकर सुदर्शन सेठ को लुभाने का प्रयत्न करना और उसके शील में अटल रहने पर उसे बलपूर्वक रानी के शयनामार में पहुँचाना (२१-६२) । अभयारानी द्वारा सुदर्शन को लुभाने का प्रयत्न किन्तु उसके प्रस्ताव को अस्वीकार करने के कारण रानी का पश्चात्ताप । सेठ को यथास्थान वापस भेजने का विचार, किन्तु सूर्योदय समीप होने में पति की अभी एपनी बार सेकर बलात्कार के दोषारोपण का प्रयत्न (६३-८७ )। राजा द्वारा रानी की बात सुनकर रोड को राजद्राही होने का अपराधी ठहराना व श्मशान में ले जाकर प्राणचात का आदेश (८८-९१) । राजमेकों का संशय किन्तु राजादेश की अनिवार्यता के कारण सेठ को श्मशान में ले जाना (९२-९८)। इस वार्ता मे नगर में हाहाकार व मनोरमा का श्मशान में जाकर विलाप (९९-११४) । सुदर्शन का ध्यान में रहते हुए संसार की अनित्यादि भावनाए (११५-१२०) । सेट पर खड़ग प्रहार किये जाने के समय यक्षदेष के आमन का कम्पन | प्रहारों का स्तम्भ तया सेठ पर पुष्पवृष्टि एवं नगरजनों का हर्ष (१२१-१२६) । राजा द्वारा अन्य सेवकों का प्रेषण व उनके भी यक्ष द्वारा कोलित किये जाने पर सैन्य महित स्वयं आगमन (१२७-१२९) । राज-सेमा व यक्षदेव द्वारा निर्मित मायामयी सैन्य के बीच घोर संग्राम (१३०-१३३)। राजा का पराजित होकर पलायन व यक्ष द्वारा उसका पीछा करना (१३४-१३७) । राजा का सुदर्शन की शरण में आना और मेठ द्वारा उसको रक्षा करना (१३८-१४२|| यक्ष की सेना द्वारा सुदर्शन की पूजा कर पथास्थान गमन । शील प्रभाष वर्णन (१४२-१४५) अधिकार ८-सुदर्शन व मनोरमा का पूर्वभव वर्णन
अभया रानी ने सेठ सुदर्शन के पुण्य प्रभाव सुनकर भयभीत हो फांसी लगा :