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प्राचीन पुस्तक भंडारोंकी प्रतियोंपर से आपने इन सब स्तोत्रोंकी प्रेसकापी करके भेजी थी ।
५ स्वर्गीय पं० गणेशचन्द्रजी गोधा जयपुर -- १ योगसार और २ कल्याणालोचना |
६ श्रीयुक्त पं० पन्नालालजी बाकलीवाल - १ श्रुतावतार, २ शलाकानिक्षेपण और ३ कल्याणमाला । कोई १० वर्ष पहले अपने जयपुर से इन्हें नकल कराके मेजा था ।
७ श्रीयुत लाला मक्खनलालजी खजांची, धोलकी स्ट्रीट, मेरठ छावनी — सारसमुश्चय ( क ) की एक प्राचीन प्रति जिसपर लिखे जानेका संवत् यदे नहीं है ।
८ सरस्वतीभंडार - दिगम्बर जैन मन्दिर, भोळेश्वर, बम्बई - अर्हत्य
वचन
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९ श्रीयुक्त पं० नाना रामचन्द्र नाग, कुंभोज - रत्नमालाकी आपने भी एक सुंदर कापी जैन सिद्धान्तभवन बाराकी प्रति परसे करके भेजी थी ।
* इस प्रन्थकी एक और पुरानी प्रतिसे सहायता प्राप्त हुई हैं जिसपर लिखनेका संवत् नहीं है और न यही मालूम है कि कौनसे सज्जनने उसे भेना था ।