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Ki योनितिसंयुक्ताल बन्द, अन्यानरामरे-११ yie Tre is 10-21 प्राय: मनुष्यों श्री देवों द्वारा पदनीक बौरासी लाख सलाम हजार तेईस जिनालयों को मैं (सक्वकीयांचाई) नमस्कार करता है Hasir FIF fig Fr प्रतिज्ञा :
13 Herry RTE AREpiii प्रयोलोकभागात स्वर्मन, कसका हिस्सा
इन्द्रादिनाकिना अतिरितिबल्या विज्ञान को अर्थ:-अब ऊर्ध्वलोक में स्थित सीप कि वर्ग मोरान स्थिति प्रादि को तथा इन्द्रादिक देवों की विभूति एवं हिपनि प्रादि को कहता हूँ । Efire अब सोलह स्वामें के नाम और काममाया कहते हैं -
सौधर्मशानकन्यौ हौदक्षिणीतरयो स्थिती
सनत्कुमारमाहेमो ब्राह्मनालाल बह्रयो । ... स्वगौ लास्तरकापिष्टौ दक्षिणोत्तरविकृषितो _iftin
को प. शुक्रमहाशुको स्मरूपयवस्थितो:017 !!:: । T.fi... " दो शतारमहलामावालतमामासाभियो ::::15---। :: :: :: आरसाच्यातनामानौ चैतेश्वरचा पोरस HIR FIF ,
अर्थ:--सौधर्म और ऐशान कल्प, क्रमशः दक्षिस और उत्तर में प्रस्त , सनत्कार माहेन्द्र, ब्रह्मा-ब्रह्मोत्तर तथा लपन्नव और कापिष्ट ये स्वर्ग भी दिया जाना विमानों के माश्रित अवस्थित है । शुक्र और महाशुक्र ये युग्म रूप अवस्थित हैं ।। ३-४॥ शतार सहवार, प्रानत-प्राएत तथा प्रारण और अच्युत ये भी एक के बाद एक युग्म रूप से अवस्थित है, इस प्रकार से सोलह स्वर्ग ऊध्वं.
REETITIHAR सालह स्वग ऊच. लोक में अमित