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________________ ४६४ ] क्रम क्षेत्र और पर्वतों के नाम भरतक्षेत्र के ऊपर हिमवत् पर्वत के ऊपर १४१० ३ हैमवत क्षेत्र के ऊपर २८२० ४ महाहिमवन् पर्वत के ऊपर ५६४० हरिक्षेत्र के ऊपर ११२८० निषेध पर्वत के ऊपर २२५६० विदेह क्षेत्र के ऊपर १ २ ५ ६ ७ सिमान्तसार दीपक गद्य का सम्पूर्ण श्रथं निम्नांकित तालिका में निहित है :-- | तारागणों का प्रमारण ७०५ कोड़ाकोड़ी ८ होते हैं : 57 17 " 31 at נו " ४५१२०, " 13 12 क्रभ £ १० ११ १२ १३ क्षेत्र और पर्वतों के नाम नील पर्वत के ऊपर २२५६० कोड़ाकोड़ी योग - ८६५३५ = कुल योग :- जम्बूद्वीप में कुल तारागर ८१५३५ - ४४४१५ - १३३९५० हैं । तारागणों का प्रमाण रम्यक क्षेत्र के ऊपर ११२८० रुक्मि पर्वत के ऊपर हैरण्यवत क्षेत्र के ऊपर शिखरी पर्वत के ऊपर ऐरावत क्षेत्र के ऊपर ५६४० २६२० १४१० ७०५ योग - ४४४१५ " " 21 20 ין 1P 12 "1 23 12 दाईद्वीपस्थ प्रत्येक द्वीप के ज्योतिविमानों की पृथक् पृथक् संख्या दर्शाते हैं :सार्थद्वीपद्वयोश्चाध्योद्वयोज्योतिष्कनिगः । प्रागुक्तमवधा प्रवर्धन्ते निखिला प्रपि । अर्थः- श्रढ़ाई द्वीप और दो समुद्रों में समस्त ज्योतिष्क देव पूर्वोक्त क्रम वृद्धि से ही वृद्धिङ्गत प्रमीषां विस्तरः निगद्यते :-- जम्बूद्वीपे द्वौ चन्द्रो हो सूर्यो, ग्रहा षट्सप्तत्यग्रशतं । नक्षत्राणि षट्पञ्चाशत्, ताराः एकलक्षश्रयस्त्रिशत्सहस्र नवशतपञ्चाशत्कोटीकोटचः । लवणसमुद्रे चन्द्राश्चत्वारः । सूर्याश्चत्वारः ग्रहाः द्विपञ्चाशदग्रविशतानि । नक्षत्राणि द्वादशाधिकशतं । ताराः द्विलक्षसप्तषष्टिसह नवशतकोटी कोटयः । धातकीखण्डद्वीपे द्वादश निशाकराः । द्वादशादित्याः । दशशतषट्पञ्चाश ग्रहाः । त्रिशतषङ्घ्रिशन्नक्षश्राणि । अष्टलक्षत्रिसहस्र सप्तशतकोटीकोटघः तारकाः स्युः । कालोदधौ चन्द्रमसः द्विचत्वारिशद्दिवाकरा द्विचत्वारिंशत् । ग्रहाः त्रिसहस्रषट्शत षण्णवतिश्च । नक्षत्राणि एकादशशत षट्सप्ततिसंख्यानि । तारा
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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