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________________ चतुर्दशोऽधिकारा [४७७ की मोटाई ३ कोश और किन्हीं की है कोश, उत्कृष्ट विमानों की मोटाई और नक्षत्रों के विमानों की मोटाई अर्व-अर्ध कोश प्रमाण है ।। सर्व ज्योतिविमानों का एकत्रित व्यास एवं बाहल्य निम्न प्रकार है :-- क्रम| ज्योतिबिम्बों के| योजना व्यास (विस्तार)ीलों में | योजना बाहल्य (मोटाईमीलों में १ चन्द्र विमान भयोजन ३६७२र्श मील योजन १८३६ मोल २ सूर्य विमान ई योजन ३१४७३३ मील योजन .. १५७३ मौल ३ शुक्र विमान १ कोश १००० मोल कोश ५०० मील ४ गुरु विमानकोश ७५० मील कोश ३७५ मोल ५ बुध विमान ३ कोश ५०० मील कोश २५० मोल ६ मंगल विमान काश ५०० मील कोश २५० मील ७ शनि विमानकोश . .. . ५०० मील कोश - २५० मौल ८ तारागणों का अध. १ कोश' । २५० मील कोश १२५ भोल . . , मध्यम , कोश व र कोश ५०० व ७५० मी० ३ व ६ कोश २५० व ३७५ मी. , ., उत्कृष्ट १ कोश १००० मोल कोश ५०. मोल ११ नक्षत्र विमान - १ कोश १००० मील १२ राहु विमान १३ केतु विमान अब सूर्घ चन्द्र आदि ग्रहों की किरणों का प्रमाण एवं उनका स्वरूप कहते हैं : सूर्यस्य सूर्यकान्ताश्मविमानस्य महान्ति च । । द्वादशैव सहस्राणि सन्त्यष्णकिरणान्यपि ॥२२॥ चन्द्रस्य चन्द्रकान्ताश्मविमानस्य भवन्त्यपि । द्विषटसहस्रसंख्यानि सच्छीतकिरणानि च ॥२३॥
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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