SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २ ] सिद्धान्तसार दीपक उपदेश दिया था, जो अन्य तेईस जीर्थङ्करों के अग्रज थे, विश्व के द्वारा पूजनीय थे, कर्म भूमिकी व्यवस्था करने से विश्व के कर्ता और धर्म चक्रके अधिपति थे उन प्रथम तीर्थङ्घर भगवान ऋषभदेवकी स्तुति करता हूँ ।।२-३।। आगे अष्टम तीर्थंकर थी चन्द्रप्रभ भगवान की स्तुति करते हैं प्रोणयित्वा जगभव्यान् यो ज्ञानामतवर्षणः । विश्वमुद्योतयामास कृत्स्नापूर्वभाषणः ॥४॥ जगदानन्दकर्तारं धर्मामृतपयोधरम् । नौमि चन्द्रप्रभं तं च योगिज्योतिर्गरणावृतम् ।।५॥ अर्थ:- जिन्होंने ज्ञानरूप अमृतको वर्षासे जगत्के भन्यजीवोंको सन्तुष्ट किया, सम्पूर्ण अङ्ग और पूर्व के व्याख्यानों द्वारा जगत् को प्रकाशित किया, जो सर्व प्रकार से जगत् में प्रानन्दके कर्ता एवं धर्मामृत को बरसाने के लिये मेघ स्वरूप हैं, तथा जो योगिराजरूप ज्योतिष्क देवों से सदा घिरे रहते हैं ऐसे उन चन्द्रप्रभ भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ ।।४-५|| ___अब कामदेव-तीर्थकर और चक्रवर्ती पद के धारक श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्र की स्तुति करते हैं यो दिव्यध्वनिनोच्छिद्य मोहस्मराक्षतस्करान् । कषायशत्रुभिः साद्ध व्यधाच्छान्ति जगत्सताम् ॥६॥ तं कामचक्रितीर्थेश-पदत्रितयभागिनस् । अनन्तद्विगुणाम्भोधि स्तौमि कर्मारिशान्तये ।।७।। अर्थ:-जिन्होंने अपनी दिव्यध्वनि के द्वारा जगत् के भव्यजीवोंके कषायरूप शत्रुओंके साथ साथ काम, मोह और इन्द्रियरूप चोरोंका विनाश किया और उन्हें शान्ति प्रदान की, तथा जो कामदेव, चक्रवर्ती एवं तीर्थङ्कर इन तीन पदों के भोक्ता हुये हैं, जो अनन्तऋद्धियों एवं गुणों के समुद्र हैं ऐसे उन सोलहवें तीर्थङ्कर श्री शान्तिनाथ भगवान् को मैं अपने ज्ञानावरणादि रूप कर्मशत्रुओं का विनाश करने के लिये नमस्कार करता हूँ ॥६-७॥ अब मोह तथा कामादि शत्रुओं को जीतने वाले श्री नेमिनाथ भगवान को नमस्कार करते हैं मोहकामाक्षशत्रूणां भङ्क्त्वा बाल्पेऽपि यो मुखम् । वैराग्यज्ञानमुत्पाद्य दुर्लभ संयमश्रियम् ॥८॥
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy