SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 342
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६६ ] सिद्धान्तसार दीपक के दो चक्रवर्ती व्रत और धर्म ( पुण्य ) के प्रभाव से सनत्कुमार स्वर्ग में गये हैं ।। १६८ ।। रत्नत्रय से अलंकृत शेष आठ चक्रवर्ती तप एवं ध्यान रूपी तलवार के बल से सम्पूर्ण कर्म रूपी शत्रुओं का नाश करके मोक्षपद को प्राप्त हुए हैं ॥ १६६ ॥ अब नव बलदेवों के नाम, उनका उत्सेध और श्रायु का कथन करते हैं :--- विजयोऽथाचलो धर्मः सुप्रभाख्यः सुदर्शनः । नन्दी च नन्विमित्रोऽत्र रामः पद्म इमे बलाः ||२००|| उत्सेधो विजयेशस्य चापाशीतिप्रमः स्मृतः 1 सप्तप्राशोतिलक्षाणि वर्षाणामायुरञ्जसा ॥ २०१ ॥ कायोत्सेधोऽचलस्यास्ति धनुः सप्ततिमानकः । सप्तसप्ततिलक्षाण्यब्दानामायुरखण्डितम् ॥ २०२॥ धर्मस्य पुरुत्तुङ्गः षष्टिचापप्रमाणकः । सप्तषष्टिलक्षाणि वर्षाणि चायुरुत्तमम् ॥ २०३ ॥ तुङ्गत्वं सुप्रभाख्यस्य पञ्चाशद्दण्डसम्मितस् । श्रायुरखण्डितं सप्तत्रिशल्लक्षाब्द मानकम् ॥ २०४ ॥ सुदर्शनस्य देहः पञ्चचत्वारिंशदुन्नतः । चापानि जीवितं सप्तदशलक्षाव्यगोचरम् ॥२०५॥ उन्नतिर्नन्दिनश्चं फोन त्रिशद्दण्ड सम्मिता । सप्तषष्टिसहस्राण्यायुर्वर्षाणामखण्डितम् ॥ २०६ ॥ उच्छ्रायोर्न दिमित्रस्य द्वाविंशतिधनुः समः । त्रिशत्सहस्रवर्षाणि ह्यायुर्बल पदेशिनः ॥ २०७ ॥ रामस्याङ्गसमुत्सेधः चापषोडशसंख्यकः । सप्ता दशसंख्यान्यऽब्दसहस्राणि जीवितम् ॥ २०८ ॥ अङ्गोfare पद्यस्य दशदण्डप्रमा मता । श्रायुर्वर्षाणि च द्वादशशतप्रमितान्यपि ॥ २०६॥ अर्थ :- विजय, अचल, धर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, नन्दी, नन्दिमित्र, राम और पद्म ये बलदेव हैं । ||२००|| विजय बलदेव का उत्सेध ८० धनुष और प्रायु ८७ लाख वर्ष की थी || २०१|| अचल का उत्सेध ७० धनुष और प्रायु ७७ लाख वर्ष, धर्म का उत्सेध ६० धनुष और ग्रायु ६७ लाख वर्ष, सुप्रभ का उत्सेध ५० धनुष और मायु ३७ लाख वर्ष, सुदर्शन का उत्सेध ४५ धनुष और आयु १० लाख वर्ष,
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy