SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २७ ] प्रायिका विशुद्धमतीजी के ऊपर उनका उतना ही स्नेह मैंने देखा है जितना कि एक पिता का पुत्री के ऊपर रहता है । जब वे उनके साथ संघ में रहती थीं तब पितृ स्नेह का प्रकट रूप दिखाई देता ही था पर अब कारण वश अलग रहने पर भी उनका स्नेह ज्यों का त्यों बना हुआ है। वे विशुद्धमति जी के द्वारा लिखित शास्त्रों को प्रकाशित करा कर उन्हें बराबर प्रोत्साहित करते रहते हैं। जब भी इनके पास जाता हूं तब बातत्रीत के प्रसंग में वे विशुद्धमतिजी की साहित्यिक पाराधना की प्रशंसा करते रहते हैं। न० लाडमल जी बाबाजो अधिकांश प्राचार्यकल्प श्रुतसागरजी के साथ रहते हैं वे ग्रथ प्रकाशन आदि में पूर्ण सहयोग किया करते हैं । तात्पर्य यह है कि इस ग्रन्थ के प्रकाशन में जिनका जिस प्रकार का सहयोग उपलब्ध हमा है वे सब धन्यवाद के पात्र हैं। उन सबके ज्ञानावरगा का क्षयोपशम वृद्धि को प्राम हो यह कामना है। यह संस्करण-- सिद्धान्तसार दीपक के मुद्रण का कार्य कमल प्रिन्टस मदनगंज (किशनगढ़) में सम्पन्न हुषा है। उसके संचालक श्रीमान् पाँचूलालजी ने छपाई सफाई का ध्यान रखते हुए इसे शुद्धता पूर्वक छापा है । चार्ट और चित्रों को यथास्थान लगाया है इसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं । माताजी का मुझपर स्नेह है अत: वे अपनी छोटी-मोटी सभी रचनाओं पर कुछ पंक्तियां लिखने का आग्रह करती हैं उसी आग्रहवश इस संस्करण में प्रस्तावना लेख के रूप में मैंने कुछ लिखने का प्रयास किया है । इच्छा थी कि ग्रन्थ सम्बन्धी कुछ विषयों पर विशेष प्रकाश डाला जाय परन्तु माताजी के साथ रहने वाले ब० कजोड़ीमलजो का प्राग्रह रहा कि प्रस्तावना लेख शीघ्र ही लिखकर १.२ दिन में मुद्रित फार्म वापिस भेज दें। 'माताजी ने ग्रन्थ में विशेषार्थों के माध्यम से सब विषय स्पष्ट किये ही हैं। इसलिये इच्छाको सीमित कर एक दिन में ही प्रस्तावना लेख समाप्त कर वापिस भेज माताजी इसी तरह जिनवाणी की सेवा करती रहें इस भावना के साथ उनके प्रति आभार प्रकट करता हूं। सागर विनीत २४-३-८१ पन्नालाल साहित्याचार्य
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy