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________________ पञ्चमोऽधिकारः [ ११६ विशेषार्थ :- छह सरोवरों से १४ महानदियां निकली हैं- पद्मद्रह से गङ्गा, सिन्धु और रोहितास्या, महापदुम से रोहित और हरिकान्ना, तिमिञ्छ सरोवर से हरित् और सीतोदा केसरी हद से सीता और नरकान्ता महापुण्डरीक से नारी और रूप्यकूला तथा पुण्डरोक सरोवर से सुवर्णकुला, रक्ता और रक्तोदा नदियां निकलीं हैं । गङ्गा नदी की उत्पत्ति और उसके गमन का प्रकार ४ श्लोकों द्वारा कहते हैं :-- तस्मात्पदमब्रहद्वाराद्गङ्गा निर्गत्य विस्तृता । क्रोशाग्रयोजनैः षड्भिहिमवद्विगरि मस्तके ॥ १० ॥ अर्धक्रोशावगाहादया याता पञ्च शतानि च । योजनानि चलद्वेगा गङ्गाकूटस्य सन्मुखा ॥११॥ गङ्गाकूटं ततस्त्यक्त्वा योजनार्थेन दूरतः । दक्षिणाभिमुखीभूय शतपञ्चक योजनात् ॥ १२॥ संयुतान् साधिका कोश त्रयोविंशयोजनः । सा गिरेस्तटमायाता तत्रास्ति गोमुखाकृतिः ॥ १३ ॥ अर्थः-- ६१ योजन चौड़ी और ई कोस गहरी गङ्गा नदी पद्मसरोवर की पूर्व दिशा में स्थित वज्रद्वार से निकलकर हिमवान् पर्वत के ऊपर ५०० योजन ( हिमवान् पर्वत पर स्थित ) गङ्गाकूट के सम्मुख अर्थात् पूर्व दिशा की ओर जाकर गङ्गाकूट को अर्धयोजन दूर से ही छोड़ती हुई दक्षिण दिशा में मुड़ जाती है, तथा उसी दक्षिण दिशा की ओर साधिक कोस से अधिक ५२३ योजन श्रागे जाकर वह गङ्गा हिमवान् पर्वत के तटभाग पर स्थित गोमुखाकृति प्रणालिका ( नाली ) को प्राप्त हो जाती है ।। १०-१३।। विशेषार्थ :- हिमवान् पर्वत के ऊपर गङ्गा नदी का दक्षिण दिशा में साधिक अर्धकोस से अधिक ५२३ योजन जाने का कारण यह है कि गङ्गा नदी हिमवान् पर्वत के ठीक मध्य में से बहती है क्योंकि पर्वत के ठीक मध्य में पद्म सरोवर है और सरोवर के ठीक मध्य से ६ योजन की चौड़ाई को लिये हुये गंगा निकली है, अतः पर्वत के व्यास (१०५२३३ में से नदी का व्यास ( ६४ योजन ) घटाकर १०५२६३-६५–१०४६ ) अवशेष भाग का श्राधा (१०४६२३÷२ ) करने पर प्राधा भाग उत्तर भाग को पार करने के और आधा ( ५२३३योजन ) दक्षिण में रहा, श्रतः दक्षिण के उस बाद ही गंगा को हिमवान् पर्वत का तद प्राप्त हो जाता है । अव प्रणालिका की प्राकृति और उसके प्रमाण आदि का निर्धारण तीन इलोकों द्वारा करते हैं:
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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