SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०८ ] सिद्धान्तसार दोपक __ अस्य व्याख्यान:-श्रीलक्ष्मीगृहयोरायामः कोशकोऽस्ति, व्यासः अधंक्रोशाच, उत्सेधः पादोनक्रोशः स्यात् । ही बुद्धि प्रासादयोर्दैर्घ्य द्वौ कोशो, विस्तृतिरेकक्रोश, उन्नतिः सार्धक्रोशः । धृतिकीर्ति सौधयोर्दीर्घता चत्वारः कोशाः, विस्तारः द्वौ कोशी, उच्छ्राय: त्रयः क्रोशाः । इसी का विशेष व्याख्यान करते हैं:--श्री और लक्ष्मी के भवनों को लम्बाई एककोस, चौड़ाई प्राधा कोस और ऊँचाई पौन कोस है। हो और बुद्धि के भवनों की लम्बाई दो कोस, चौड़ाई एक गोस पर ऊँचाई के कोस ई। तथा धृति और कीति के भवनों की लम्बाई चार कोस, चौड़ाई दो कोस और ऊँचाई तोन कोस प्रमाण है। नोट:- यहाँ एक कोस २००० धनुए प्रमाण है। - अब श्री प्रादि देवियों के निवास, प्रायु और स्वामी का विवेचन करते हैं: श्रीझै तिश्च कीर्तिश्च बुद्धिलक्ष्मीरिमा हि षट् । घसन्ति क्रमतो देध्यः प्रासु षद्रह पंक्तिषु ॥८८।। स्थादासां सर्वदेवीनामायुः पत्यकसम्मितम् । परिवारामराः सन्ति नानापरिषदादयः ।।६।। श्री ही धृत्याख्यदेवीनां स्वामीसौधर्मनायकः । ऐशानश्चोत्तरस्त्रीणां सर्वत्र व्यवस्थितिः ॥१०॥ अर्थ:-श्री, हो, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी ये छह देवियों कम से पंक्तिबद्ध छह सरोवरों में रहती हैं। इन सर्व देवियों की प्रायु एक पल्य की होती है, तथा इनके पारिषद् प्रादि नाना प्रकार के परिवार देव १४०११५ हैं । श्री, ह्री और धृति देवियों का नायक (स्वामी ) सौधर्मेन्द्र है, और कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी ये लोन देवियां ऐशानेन्द्र के प्राधीन हैं। सर्वत्र अर्थात् अन्य सरोवरों में स्थित देवियों की भी ऐसी ही व्यवस्था है ।।८-६०।। अब श्री देवी के परिवार कमलों का प्रवस्थान एवं प्रमाण कहते हैं: स्पानिशसहस्राण्यन्ता परिषत्सुधाभुजाम् । श्री गेहादब्जगेहानि हयाग्नेदिशि निश्चितम् ।।।। चत्वारिंशत्सहस्राणि दक्षिणाख्यविशिस्फुटम् । स्युमध्य परिषदेवानां पद्मस्थ महाणि च ॥१२॥
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy