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________________ चतुर्थाधिकार [ १०५ सरोवर १००० योजन लम्बे. ५०० योजन चौड़े और १० योजन गहरे हैं । महापन और महापुण्डरोक नाम के सरोवर २.०० योजन लम्बे, १००० योजन चौड़े और २० योजन गहरे हैं तथा तिगिञ्छ और केसरी नाम के दो सरोवर ४००० योजन लम्बे, २००० योजन चौड़े और ४० योजन प्रमाण गहरे हैं । इस प्रकार ये छह सरोवर पूर्व-पश्चिम लम्बे, जल के स्वाद के सदृश जल से भरे हुये और शाश्वत हैं ।।७५-८०॥ विशेषार्थः--कुलाबलों का उदय एवं सरोवरों के ध्यास आदि का प्रमाणः ऊचाई लम्बाई । चौड़ाई गहराई क्रमांक कुलाचल कुलाचन - सरोवर योजन मौलों में यो में | मौलों में योजनों में | मीलों में योजनोंमें | मोलों में । 1०० | पदम १०००४०००००० ८००००० महापद्म २००००००००० 00000 ८०००० २०००। ८०० १६०००० १६०००० १६००००० तिगिञ्छ |४०००१६०००००० १६००००० केशरी ४००० १६०००००० ५/ रुक्मी २०. महा-२०००.८०००००० । पुण्डरीक (शिखरिन् १०० ४०.००० पुण्डरीक १०००/४००० 1००० ४०० ८०००० | २०००००० सरोवरों में स्थित कमलों के विस्तार आदि का प्रमाण कहते हैं: पभहदान्तरे नित्योऽम्बुजो योजनविस्तृतः । कोशेकणिकायुक्तः प्रफुल्ल स्यात् सुगन्धवान् ।।५१॥ सार्धक्रोशायतान्याये परे पत्राणि सर्वतः । एकादशसहस्राणि शाश्वतामि भवन्ति च ॥२॥ सर्वत्र क्रोशमाहुल्यं जलात् क्रोशद्वयोन्छुितम् । अम्बुजेऽम्बुजं नालं स्यात् वैडूर्यरत्नतन्मयम् ।।३।।
SR No.090473
Book TitleSiddhantasara Dipak
Original Sutra AuthorBhattarak Sakalkirti
AuthorChetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size15 MB
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