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(२) HAREKARKICRO श्रीपालगस विषय पृष्ट सख्या ।
विषय
पृष्ठ संख्या नव जीवन मिला
५८ | एक योगी से भेट और दिव्य औषधियाँ, प्रवास परिचय
धवल सेठ ९३ अब मेरा जीना बेकार है ६२ | द्वितीय खन्ड-दाल तीसरी ९७ प्रथम खंड ढाल नवमी | अक्कल चरने तो नहीं गई ? ९८ मेरे घर पालना बंधा
| नगर में भयंकर उत्पाद
पराधीन सपने सुख नाहि १०३ मृत्यु की दवा नहीं वे अबानक चल बसे
द्वितीय खन्ड-ढाल चौथी १०४ प्रथम खंड-दाल दसवीं
क्या आपको फले फूले रहना है ? १८५ अजितसेन का पट्यत्र
इसे उल्टे मुंह झारसे लटकादो १०६ कोई हमारा बाल वाँका न कर सका ७०
सम्राट् महाकाल का मन्मान ११० रहेगा नर तो बसेंगा घर ७० | द्वितीय खन्ड-दाल पांचवीं ११२ मैंने अनेक वैद्यों के द्वार खट खटाएं ७३ | कन्या कहाँ दे !
११४ प्रथम खंड-ढाल ग्यारहवीं ७३ | मां की बेटी को सीख करे ! तेने यह क्या किया ? ७६
परिवार की दृष्टि से न गिरी ११८ मेरा संशय गलत था
महिला पति के हृदय क्यों खटकती हैं ?
हृदय में लिखलो ७८
११९ धन्य है वेटी ! मयणासुदरी
वेद पुराण कुरान मां रे १२१ दुसरा खंड-कहां. क्या ?
रात्रि भोजन का एक प्रत्यक्ष उदाहरण १२२ मंगलाचरण (विनयविजवजी महाराज) ७९
आत्मा का स्वाभाविक धर्म १२५ मंगलाचरण (मुनि न्यायविजयजीमहाराज | सेठ के तन में आग लग गई १२६ यह कौन आ रहे हैं ? ८२
द्वितीय खन्ड-ढाल ६ठी १३२ द्वितीय खंड-ढाल पहली ८३
एक अद्भुत घटना
१३४ क्या आपका किसी ने अपमान किया है ? | भविष्यवाणी की चर्चा । हमार पास लड़ाई के विपुल साधन हे ८४ । अजी ! दर्शन करें। या धंधा १३८ मां का आशीर्वाद, विजय मुहूर्त में प्रयाण ८६ द्वितीय खन्ड-दाल ७वीं द्वितीय खन्ड-ढाल दुसरी ८७ | दृढ़ संकल्प का चमत्कार मयणासुन्दरी का अनुरोध ८८ : विद्याचारण मुनि का प्रवचन स्वर विज्ञान, चन्द्र और मूर्य स्वर के कार्य ९० जो जाके हृदय बसे
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