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[श्रीपाल चरित्र पञ्चम परिच्छेद
भावार्थ-मदनमञ्जूषा ने अपने पति का दुःखद समाचार सुन गुणमाला से कहा बहिन! शीघ्र चलो, आओ! मुझे जल्दी राजाका दर्शन करायो । मैं उनके समक्ष समस्त श्रीपाल का चरित्र वर्णन करूंगी। उसकी कुल वंश परपर क्या है लागी। इस प्रकार सुनते हो गुणमाला भी उसे साथ ले अविलम्ब राजदरबार में जा पहुँची । उस महासती, सौम्य, सुशीला, परम लावण्ययुक्त सती को देख राजा ने उसे सम्मान पूर्वक आसन दिया और सनम्र उससे पूछा कि हे पुत्रि, आप जानती हैं तो शीघ्र मुझे बताओ कि यह श्रीपाल कौन है ? इसका कुलश्रम क्या है ? ||१५० १५१।।
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सती मदनमञ्जूषा जगाद श्रृण भो प्रभो ।
सर्वं तस्यात्र वृत्तान्त कथयामि महात्मनः ॥१५२॥
अन्वयार्थ -(सती) साध्वी (मदनमञ्जूषा) मदनमञ्जूषा (जगाद) कहने लगी (भो) हे (प्रभो) नृपति ! (शृण) सुनिये (अत्र) अब (तस्य) उस (महात्मनः) महात्मा के (सर्वम्) सम्पूर्ण (वृत्तान्तम्) चारित्र को (कथयामि) कहती हूँ।
भावार्थ भूपति द्वारा पूछे जाने पर महासती मदनमञ्जूषा ने कहा भो राजन्, आप शान्ति से सुनिये, मैं उस महापुरुष के सम्पूर्ण वृत्तान्त को कहती हूँ। आपको समझने में देर न लगेगो ॥१५२।।
अनदेशेऽत्र चम्पायां सिंहसेन नरेश्वरः ।
कमलाविवती राजी तयोः पुत्रोऽयमुज्ज्वलः ॥१५३।।
अन्वयार्थ--मदनमञ्जूषा श्रीपाल का परिचय दे रही है (अङ्गदेशे) अङ्गदेश में (चम्पायाम् ) चम्पापुरी में (नरेश्वरः) भूपति (सिंहसेन) सिंहसेन (राज्ञी) रानी (कमलावती) कमलावती (तयोः) उन दोनों के (अत्र) यहाँ (अयम्) यह श्रीपाल (उज्ज्वल:) निर्मलगुणो (पुत्रः) पुत्र है।
मावार्थ-भरतक्षेत्र के अङ्गदेश है। इस देश में प्रसिद्ध चम्पापुरी नाम की नगरी है। इस नगरी का महान प्रतापी नीतिज्ञ सिंहसेन नाम का राजा था उसकी मुख्यमहिधी-पटरानी कमलावती हुयी । उन दोनों का यह महासुबुद्धि, निर्मल गुणी पुत्र श्रीपाल कोटिभट है।।१५३॥