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________________ २७६ ] [श्रीपाल चरित्र पञ्चम परिच्छेद और (अत्र) अब (अस्य) इसके (वञ्चने) ठगने पर (मत्यापम ) मुझे पाप (प्रजायते) होगा यह बिचार करना चाहिए ।।१६।। भावार्थ-तुम पहले की बात सोचो. आपने कहा था कि यह बुद्धिवन्त श्रीपाल मेरा बेटा है, अब इसको ठगते हो । इसके साथ वञ्चना करने से मुझे कितना पाप होगा यह क्यों नहीं विचारते हो ? पर वञ्चना महा अधम पाप है ।।१६।। एषा मदनमञ्जूषा वधूस्तस्मात्कथं ध्रुवम् । रमते तस्य कान्ता त्वं लज्जसे कि न पापधीः ।।२०।। अन्वयार्थ-क) यह (नवनगरपा) मा सुन्दगी तप) उस श्रीपाल को (कान्ता) भार्या, (तस्मात्) इसलिए (ध्र वम ) निश्चय ही (वधूः) पुत्रवधू हुयी (कथम् ) किस प्रकार (पापधीः) दुर्बुद्धि (त्वम) तुम (रमते) रमने में (कि) क्या (न) नहीं (लज्जसे) लज्जित होते हो ? | भावार्थ-दूसरी बात यह है कि यह मदनमञ्जूषा श्रीपाल की रानी है । इसलिए निश्चय ही तुम्हारी पुत्रवधू है.। पुत्र की पत्नी पुत्री सहश होती है । हे पानात्मा तुम उसके साथ रमते लज्जा को प्राप्त क्यों नहीं होते हो ॥२०॥ एष कोटिभटश्चापि मत्वा ते दुष्टचिन्तम् । क्षणार्द्धन महाकोपात् क्षयं ते चकरिष्यति ॥२१॥ अन्वयार्थ-(चापि ) और भी सोच लो, (एषः) यह (कोटिभट:) कोटिभट (ते तुम्हारे (दुष्टचिन्तनम ) इस खोटे विचार को (मत्वा) ज्ञातकर (महाकोपात्) भयङ्कर त्रोध से (च) और (क्षणार्द्धन) आधे ही क्षण में (ते) तुम्हारा (क्षयम ) नाण (करिष्यति) करेगा। भावार्थ-तुम यह निश्चय समझ लो, यह महाबीर कोटिभट है, जिस समय इसे ज्ञात होगा कि तुम्हारा इतना नीच विचार है तो बस समझो भयङ्कर कोप से निमिष मात्र में तुम्हें यमलोक की राह दिखा देगा। तुम जोवित नहीं रह सकोगे । इसलिए इस प्राण घातक विचार को त्यागना ही श्रेष्ठ है । इस खोटे, पापमय अभिप्राय को छोड़कर जीवन धन और यश को रक्षा करो ।।२१।। अहो श्रेष्ठिन् महापापीकामसर्पोऽयमुदतः । त्वया सन्तोषमन्त्रेणजेतव्यः प्राणनाशकः ।।२२।। अन्वयार्थ-- (अहो) हे (श्रेष्ठन्) सेठ ! (अयम्) यह (महापापी) भयङ्कर पाप स्वरूप (उद्धतः) अवश (कामसर्पः) कामरूपी भुजङ्ग (प्राणनाशक:) प्राणों को हरने वाला (त्वया) तुम्हारे द्वारा (सन्तोषमन्त्रेण) सन्तोपरूपी मन्त्र से (जेतव्यः) जीतना चाहिए ।
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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