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________________ [श्रीपाल चरित्र तृतीय परिच्छेद वाल्टी में लेकर उन जीवों को-जिबानी को उसी जलाशय में विसर्जन कर । घर में लाने के बाद भी प्रत्येक ४८ मिनिट में पुन:-पुनः छानकर काम लाना चाहिए । हर समय जीवानी को एक पात्र में संचित करते जाना चाहिए। पून: जब पानी भरने जावें तो उस एकत्रित जिवानी को साथ ले जाकर उसी जलाशय में डाल देना चाहिए । अन्य पानी के जीवों को अन्य-दूसरे पानी में मिलाने से उनकी विराधना होगी। अस्तु जिस जलाशय का पानी लादे उसी में जिबानी डाले ॥४२॥ गालितं तोयमप्युच्चैः सम्मूछति मुहूर्ततः। प्रासुकं याम युग्मं च, सदुष्णं प्रहराष्टकम् ॥४३॥ अन्वयार्थ - (गालितम ) छना हुआ (अपि) भी (तोयम.) जल (उच्चः: विशेषतः (मुहूर्ततः) एक मुहूर्त में (सम्मूच्र्छति) जीवसहित हो जाता है, (प्रासुक) कपूर, लवङ्ग, इलायची आदि डालकर प्रासुक किये जल की मर्यादा (युग्म) दो (याम) प्रहर (च) और (सदुष्ण) गर्म जल की (अष्टकम) पाठ (प्रहरः) पहर है । भावार्थ-एक बार छानने के बाद ४८ मिनिट तक ही पानी की मर्यादा है । इसके बाद पुनः छानकर काम में लेना चाहिए। लेबङ्गादि से प्राशुक किये जल की मर्यादा २ प्रहर अर्थात् ६ घण्टे की है तथा उबाले जल को मर्यादा ८ प्रहर अर्थात् २४ घण्टे है । इस सीमा के बाहर होने पर उस जल को अशुद्ध समझना चाहिए ।।४३।। जल को प्रासुक करने की विधिः-- कर्पूरैलालबङ्गाद्यस्सुगन्धस्सार वस्तुभिः । प्रासुकं क्रियते तोयं, कषायव्यस्तथा ।।४४।। अन्वयार्थ- (क' र) कपूर (ऐला) इलायची (लवङ्गादि) लवंग आदि (सुगन्धैः) सुवासित (वस्तुभिः) वस्तुओं द्वारा (तथा) तथा (कषाय:) हरड, आंवला आदि कषायले (द्रव्यकैः) द्रव्यों द्वारा (तोयम ) जल को (प्रासुकं) प्रासुका (क्रियते) किया जाता है। भावार्थ-जल को प्रामुक करने के लिए उसमें कपुर, इलायची, दालचीनी, सौंफ, लौंग आदि पदार्थ डालना चाहिए । इन्हे पीस कर डालना चाहिए जिससे पानी का रूप, रस गंधादि परिबलित हो सके । इनके अतिरिक्त हरड, आंवला, बहेडा आदि कषायले द्रव्यों से भी प्रासुक किया जा सकता है । इस जल की मर्यादा छु: घण्टे की हो जाती है ।।४४।। अब अभक्ष्य पदार्थों का वर्णन करते हैं कन्दमूलश्च सन्धानं, काजिकं गुञ्जनं तथा । नवनीतं पुष्पशाकं, विल्यञ्चफलकं त्यजेत् ॥४५॥
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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