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________________ श्रीपाल चरित्र द्वितीय परिच्छेद ] [११७ मदन सुन्दरी (अपि) भी (पितुः) पिता के (चितम्) अभिप्राय को (मत्वा) मानकर (विनम्रा) विनययुत (मन्दिरम् ) घर को (ययौ) चली गयी । भावार्थ--उायुक्त निर्णय भार राज. ने गाया से घर जाने को कहा । वह भी पिता के अभिप्राय को समझकर नम्रता पूर्वक प्राय को समझकर नम्रतापूर्वक पिता को नमन कर अपने महल में चली गयी । ठीक ही है चतुर और बुद्धिमत्त को संकेत ही पर्याप्त होता है । वह विदूषी पिता के मनोभाव को ताड गयी थी । अतः शान्त भाव से विनय पूर्वक जाना ही उचित समझा ।।६३५ युक्तंदुष्टजनस्यैवं साधूक्तं न सुखायते । तथा पित्तज्वरस्येह शर्करा न विराजिता ॥४॥ अन्ध्यार्थ - (युक्त) ठीक ही है (एवं) जिस प्रकार (इह) लोक में (पित्तज्वरस्य । पित्त ज्वर वाले के (शर्करा) शक्कर (राजिता) प्रिय (नवि) नहीं होती (तथा) उसी प्रकार दुष्टजनस्य) दुर्जन के (साधुक्तं) सत्य कही उक्ति (न सुखायते) सुख के लिए नहीं होती है । भावार्थ-जिस प्रकार पित्त ज्वर से पीडित मानव को मधुर शक्कर भी विपरीत कड़वी प्रतीत होती है उसी प्रकार दुर्बुद्धिजन को भी सत्य कथन सुखकारी नहीं होता अपितु दुःखदानि ही लगता है ।।१४।। प्रथैकदा प्रजापालोराजायानादिसंयुतः । वनक्रीडां व्रजन्नुच्चश्चामरादि विराजितः ॥६५॥ अन्वयार्थ .. (अथ) इसके बाद (एकदा) एक समय (राजा) नृपति (प्रजापाल:) प्रजापाल ने (यानादिसंयुतः) वाहन सवारी आदि सहित (उच्चः) उछलते (चामरादि) चमरों के ढुलाये जाते हुए (विराजितः) विराजित (वन् क्रीडाम् वजन्) वन क्रीडा को जाते हुएनिम्न प्रकार देखा। भावार्थ-मन में विद्वेष और प्रतिशोध की भावना वाला यह राजा समय की प्रतीक्षा में था कि एक समय वह अपने हाथी आदि सवारी पर आरुढ हुआ। सुन्दर चमर दुर रहे थे, और मन्त्री प्रादि साथ थे, आमोद-प्रमोद के सभी साधनों के साथ वनक्रीडा के लिए निकला। ।।६। उस समय मार्ग में जाते हुए अचानक देखता है कि--- सदाकर्मवशात्तत्र श्रीपालसन्मुखागतम् । द्विशरीरं समारुढ़ पलास छत्रिकान्वितम् ॥६६॥ कुष्ठीनां सप्तशत्या च वेष्टितमक्षिकाशतैः । स्वयंचोदुम्बराकार कुष्ठेन परिपीडितम् ॥१७॥
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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