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________________ अतिक्रमणा * न मावो अप्पमादो, तत्थ उदाहरण-रायगिह जरासंधी राया,तस्स सबप्पहाणा शेालिकामो-मगडबुंदरी मगहसिरीजमादो . य, मगहसिरी चिनेति-जदि एमा न होज्जा मए एकलियाए राया हत्यगतो होज्जा जसो यषि, सीसे छिहाणि मग्गति, वाहे मांग ॥२०॥ मगइसुंदरीए नदिवसंमि कण्णिकार सोवणिकाओ विसधृविताओ सूचीओ केसरसरिकाओ परिखनाओ, ताहे तीए ममहसु-18| संग्रह दरीए महतरिका पच्छति-ममरा कणिकाराणि न अल्लियंति, तेसु णिणेन्ति, ताहे ऊहितं गूर्ण सदोसाणि पुप्फाणित्ति, जदिय मणिहिन्ति-एतेहिं पुष्फहिं अच्चणिका अचोक्खा विसमाविताणि वा तो गामेलकत्तणं होहितिनि, तो उवाएण पारेमि, सायरंग उत्तिष्णा, अण्णदा मंगलं गाइज्जति, तं दिवस इमं गीतियं पगीता-पत्तए वसंतमासए॥ सा चिंतेति-अन्वगीतिका, गावं सदोसाणि कण्विकाराणि, ते परिहतीए गीतं नन्चितं च सविलासं, प य छलिता, परिहरिय अप्पमचा नई गीतं किर न चुस्का । एवं साधुणावि पंचविहे अप्पमादे रस्तेण जोगा संगहिवा भवंति २६ ॥ सोय अप्पमादो लवे अद्धलब वा पमादं न जाइतम्बं । भरूअच्छे एको आपरिओ, तेण विजयो सीसो उज्जेणि पत्यविओ। PIकज्जेणं, सो जाति, तस्स गिलाणकज्जेण केणइ वक्खेवो, सो य अंतरा वासावासेण रूद्धो, अणुगतणं उद्वितंति- गडपिए यामे पासापास ठितो नागधरे, सो चिंतेति-गुरुकुलपासो न जातो, इहवि करेमि, तहेव जो उपदेसो सेण उवणायरितु अवितो, सो 18 काले गहाय आवस्सए काउस्सग्गं कात्रणं वंदित्ता आलोएति, मावि बंदिचा पच्चस्खाणं सरमेन गेहति, पच्छा काले निवेदेति, का सय व मणति-तहत्ति, एवं चक्कवालसमायारी विमासितचा.एवं किर सो सम्बयाणचुक्को, खणे खणे मल्सडिज्जति-कि में डाकतं किंच मे किच्च सेसमिनि । एवं किर अपमादेणे जोगा संगहिता भनि २७॥ RAMAR
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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