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________________ भतिक्रमणाबतीता पकवाणिो, जाहित्ति, छति, हन्थि विलग्गो, मणि हरिथमथए कातूण पन्थिनो, कतमालएण आहतो मना, छडीएल पाटलिध्ययने पदवीए पतो। ताहे ने रायाणा उदायिं ठवेति, उदायिस्मवि चिंता जाना, एत्य नगरे मम पिता आसित्ति अद्वितीए अन्य पृषीया नगर कारेति मग्गह कत्श्रुति बन्धुपाढगा पमिता,नेरि एगन्थ पाडली उरि चामो अववासितणं तुडेणं पामति, कीडगा मे अपणो र पाटली ॥१७७ व पहं अतिान्त । किट मा पाडालती-- |..दो महुराओ-दक्षिणा उनग य, उत्तरमहुराओ वाणियदारो दक्षिणमहरं बहणजनाए गनो, नन्थ तस्स एक्केण वाणियकंग सह मिनता, तस्स भगिणी अणिका, तेण मनं कन, सा मे जेमेन्तस्म वीयणकं धरति, सोनं पाएमु आरद्धो णिवण्णेति, अझो|पवष्णो, मग्माविया, ताणित भणनि-जदि इई चेव अच्छमि जाव एक दारगरचं जानि तो दमो, पडिवण्णो, दिण्णा, एवं कालो बच्चति, अण्णया तस्स दाम्गस्स अंमापितीहि लेहो पसिनो-'अम्हे अंधलीभृताणि, जदि जीवनाण पेञ्छतो तो एहि, मे लेहो उच-11 णीतो, सो त पापति, अाणि मुयमाणो नीए दिडो, पुरन्छति, न किंचि माहति , नीए लेहो गहिनो, वायिनो, ते मणनि-मा । अद्विति करेहि,आपुच्छामि, सीए. सवं अमापितूर्ण कहिनं,विमज्जिताणि.णिग्गनाणि दक्षिणतो महगा.मा य अपिणका गुाचणी. सा अंतरापहे बियाता , चिनेति-प्रमापिनरो नाम काहितिनिन का , नाहे रमानो जणी भणनि- 'अणिआपुनोणि, कालेज पचमण, तेहिदि से चेव नाम कर्त, अण्णं न पनिवाहिनिनि, ताडे सो अणिकापनों अमक्कबालभावो मोगे अवहाय पम्बहतो, ॥१७७॥ का परचये रिहरमाणो गंगाए तडे पुष्फमई नाम नगरं गतो ममीमपरिवारो, तत्थ पूष्फ केतू राया, पृष्फयती देवी, म जुगलाण |दारको दारिका य जाता, पुष्फचूलो पुष्फला य. नाणि अण्णमण्णमणग्नाणि. तेण रायाए चितितं जदि विजोइज्जति तो मरि OURNEASE 179
SR No.090463
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1986
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Story, & agam_aavashyak
File Size9 MB
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