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श्री
चूर्णी
केवलणाणं तत्थट्ठियम्य साधुणा उप्पा. देवा य ओवतिना, देवुज्जोएण य पडिहतं दिविगतं विसं सप्पाणंति, ततो अम्हे कमेण श्रीऋषमआवश्यक
पत्ताई सरवण, आवामिनाई, मागरमणमुणि मेणा य मम भातरो अणगारा सगणा तन्यव ठिता, ततो अम्हेहिं दिट्ठा नपलच्छि-19 चरिनं
पडिहत्था सरदसरजलपमताहिदया मारदयगलमामिमीमदंगणा, ने य सपरिवारा परेण मनिवहुमाणेण पंदिता, सपरिवारा य फासु-15 भगवन्उपोद्घात
एण असणपाणमाइमसाइमेण पडिलाभिना, नतो अम्ह नमि गुणे अणुगुणनाई- अहो महाणुमावा मागरसेणमणिसणा, अम्हेनियुक्ती 13 वि मुक्करज्जपुग्दावागई कयाई मन्त्र जिम्मंगाई विहरिम्मामोनि विरागमग्गमाइन्नाई कमेण पत्ताई सणगर, पुत्तेण यण अम्हं
भवाः | विरहकाले भिच्चययग्गा दाणगाणेहि जिनो वामघर य विसधूमो पयाजिना, विसज्जिनपरियणाणि य विगाले पनाम अतिग| याणि वासगिह माधुगुणग्याणि, ममिनधानणि कालगाणि इहायानाणि उत्तरकुगनि जाणामि, ने अज्ज ! जाणिण्णा| मिया जा य मयंपमा जाय निरिमती मा अर्हति वाणह, जो महम्बलो राया जाय ललियंगनो जोय बहरजंघों ने तुम्भे, गवं | जीने णाम गहितं मे मा अहं मषमा ! ननो मामिणा भनिन- अज्ज ! जाति मुमरिऊण देवज्जोरदसणणं नितीम देवभवे बट्टसाहिति, नतो मे मयंपमा प्राभट्ठा, न मच्चमेयं कहितति, परितुट्ठमाणसाणि पुच्चभवमुमग्णमंस्विनसिहाणि मुहागनावमयद्र सहाणि हिनि पलितीचमाणि जीविठण कालगनाणि सोहम्म कप्प देवा जाना । नन्धविण पग पिनी आसिन्ति ।
पलियोबभिक ठिनि पाले कण या वच्छतावनिविजए पभगइ णगरीय, तन्ध मामी पितामहो मुविहिवेलम्म पुनो फेसबो गाम जातो. अहं पुण मट्टिमुना अभय मो, नन्थषि णे निणाहादी कता, तन्धेत्र नयर रायपुना पुरोहितो मानमुओ सन्थवाहसुओ | दय, तेहिवि सह मनी जाया कयाई च माधू महप्पा किमिवीण गहिना जहा पुच्चं जाव नेणव पडिगता, मुनघम्मा य मञ्चेपि पडि
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